पुलिस पिटाई से मौत: 15 दिन बाद भी प्रशांत साहू की पीएम रिपोर्ट नहीं
कवर्धा | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले के लोहारीडीह में पुलिस की पिटाई से मारे गए प्रशांत साहू की फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आज तक नहीं बन पाई है.प्रशांत साहू की 18 सितंबर को मौत हो गई थी. चिकित्सकों का कहना है कि एक डॉक्टर के अवकाश में होने के कारण रिपोर्ट नहीं बन पाई है.
हालत ये है कि मृतक का बिसरा पार्ट भी जांच के लिए आज तक नहीं भेजा गया है. आम तौर पर पोस्टमार्टम करने के 72 घंटे के भीतर, बिसरा जांच के लिए फॉरेंसिक लैब में भेजने पर सही रिपोर्ट की उम्मीद रहती है.
गौरतलब है कि लोहारीडीह हिंसा और हिरासत में मौत के मामले में आईपीएस और एएसपी विकास कुमार के निलंबन के अलावा, राज्य सरकार ने 23 पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया था. इसके अलावा जिले के कलेक्टर जनमेजय मोहबे और एसपी अभिषेक पल्लव को भी ज़िले से हटा दिया गया था.
राज्य के उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने अपने गृह ज़िले में हुई इस घटना के बाद स्वयं प्रशांत साहू के घर जा कर उनकी मां को 10 लाख रुपये की मुआवजे की रकम सौंपी थी. उन्होंने दावा किया था कि इस मामले में किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा.
लेकिन हालत ये है कि पुलिस की पिटाई से मारे गए प्रशांत साहू की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आज तक नहीं बन पाई है.
चिकित्सकों ने बताया कि पोस्टमार्टम के लिए ज़िला प्रशासन ने तीन डॉक्टरों की टीम बनाई थी. लेकिन इसमें से एक डॉक्टर अवकाश पर हैं. डॉक्टर के अवकाश पर होने के कारण न तो फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार हो पाई है और न ही बिसरा जांच के लिए भेजा गया है.
क्या हुआ था
गौरतलब है कि कबीरधाम ज़िले के रेंगाखार थाना अंतर्गत लोहारीडीह में रहने वाले कचरु साहू का शव फंदे पर लटका मिला था.
गांव वालों ने गांव के ही एक व्यक्ति रघुनाथ साहू पर हत्या की आशंका जताते हुए उसके घर पर हमला कर दिया.
गांव वालों ने मिलकर कथित तौर पर रघुनाथ साहू के परिवार को जिंदा जलाने की कोशिश की और घर में आग लगी दी.
बाद में पुलिस ने जले हुए घर से रघुनाथ साहू का शव बरामद किया था.
पुलिस पर गंभीर आरोप
इस घटना के बाद पुलिस ने गांव में लोगों के साथ बर्बर तरीके से मारपीट की थी.
बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया था.
ज़िले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव के निर्देश पर महिलाओं और छोटे बच्चों को भी बुरी तरह से मारा गया था.
पुलिस अधिकारी द्वारा नाबालिग बच्ची को पीटने का आदेश देना न केवल कानून के शासन के उल्लंघन का मामला है, बल्कि मानवाधिकारों का खुला अपमान भी है। पुलिस की भूमिका समाज में शांति और न्याय स्थापित करने की होती है, न कि निर्दोष लोगों पर अत्याचार करने की। इस प्रकार की घटनाएं पुलिस… pic.twitter.com/C20lAZvXZX
— Jaydas Manikpuri (@JayManikpuri2) September 19, 2024
ग्रामीणों का आरोप है कि इस मामले में गिरफ़्तार युवक प्रशांत साहू को पुलिस ने हिरासत में पीट-पीट कर मार डाला.
युवक की संदिग्ध मौत के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच कर रहे आईपीएस एएसपी विकास कुमार को निलंबित कर दिया था.
भाई ने लगाया था पुलिस प्रताड़ना का आरोप
मृतक प्रशांत साहू के भाई ने पुलिस पर बेरहमी से मारपीट का आरोप लगाया था.
उनका कहना था कि उनके भाई को मारा-पीटा गया था. उसके शरीर पर चोट के कई निशान थे.
गले और जांघ में पट्टे से पिटाई करने के निशान थे.
उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाई को पुलिस ने साजिश के तहत मारा है.