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छत्तीसगढ़ में बाघ की मौत ज़हर से नहीं- IVRI

रायपुर | संवाददाता: भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली ने छत्तीसगढ़ के कोरिया में बाघ की मौत, ज़हर से होने की बात को नकार दिया है. संस्थान को कल ही वन विभाग से बाघ के अंगों के सैंपल मिले थे.

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आज Indian Veterinary Research Institute IVRI यानी भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने अपनी जांच के बाद कहा है कि बाघ की मौत ज़हर से नहीं हुई है.

इससे पहले राज्य सरकार ने आरंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघ की मौत ज़हर से होने की आशंका जताई थी. बाघ का शव दो-तीन दिन पुराना था और शरीर के अधिकांश हिस्से खराब हो चुके थे. हालांकि बाघ की पसली की एक हड्डी टूटी हुई थी.

अब वन विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वह बाघ की मौत का पता लगाए.

गल चुकी थी बाघ की देह

पिछले शुक्रवार को एक बाघ का शव कोरिया ज़िले के देवसील कटवार के पास नदी में मिला था. शव दो-तीन दिन पुराना था और किडनी समेत शरीर के अधिकांश हिस्से गल चुके थे.

बाघ की मौत
बाघ के अधिकांश हिस्से गल चुके थे

ग़ौरतलब है कि पिछले महीने 16 अक्टूबर से कोरिया वनमंडल में एक बाघ की उपस्थिति देखी जा रही थी. कोरिया और बैकुंठपुर के इलाके में लगातार बाघ की उपस्थिति के प्रमाण मिल रहे थे.

चामड़ पहाड़, जाम घाट, लोटा पानी, टेमरी और कटकोना के जंगल में भी कुछ ग्रामीणों ने बाघ की उपस्थिति की बात कही थी.

इस दौरान बाघ ने पटना के टेमरी गांव के जंगल में सोरगा के रहने वाले महेंद्र यादव की भैंस का शिकार किया था.

बाद में बाघ ने तेंदुआ गांव के राजाराम यादव और संतोष यादव की भैंस पर भी हमला कर, इन भैंसों को घायल कर दिया था.

वन विभाग ने बाघ की निगरानी का दावा किया था. इसके लिए कैमरे भी लगवाए गए थे. लेकिन अंततः वन विभाग की सारी निगरानी धरी रह गई और बाघ की मौत हो गई.

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