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4 सालों से छत्तीसगढ़ में वृद्धावस्था पेंशन का लाभ एक भी नये बुजुर्ग को नहीं

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में पिछले चार सालों में एक भी ऐसा नया व्यक्ति नहीं मिला, जिसे वृद्धावस्था पेंशन के लिए पात्र माना जाए.

ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश पासवान के एक जवाब से यह तथ्य सामने आया है.

शुक्रवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश पासवान ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन के लिए राज्यों को 2020-21 में 6152.61 करोड़ रुपये दिए थे.

इसी तरह 2023-24 में केंद्र ने इस मद में राज्यों को 6778.48 करोड़ रुपये जारी किए.

उन्होंने बताया कि 2020-21 में इसका लाभ 2,15,90,519 वृद्धों को मिला.

वहीं 2023-24 में लाभ पाने वाले वृद्धों की संख्या बढ़ कर 2,18,86,219 हो गई.

छत्तीसगढ़ में चार साल में नहीं मिला कोई नया पात्र वृद्ध

छत्तीसगढ़ में 60 से 79 वर्ष के बुजुर्गों को 500 रुपये और 80 साल से ऊपर के वृद्धों को 650 रुपये हर महीने दिए जाते हैं.

आंकड़े बताते हैं कि वृद्धावस्था पेंशन योजना के मद में केंद्र सरकार ने 2020-21 में छत्तीसगढ़ को 98.55 करोड़ रुपये दिए.

2021-22 में यह रकम बढ़ कर 183.58 करोड़ और 2022-23 में 187.69 करोड़ हो गई.

2023-24 में केंद्र सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन के लिए 190.63 करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ को दिए.

लेकिन यह दिलचस्प है कि इन चार सालों में इस पेंशन योजना का लाभ लेने वालों की संख्या जस की तस बनी रही.

आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में वृद्धावस्था पेंशन का लाभ पाने वालों की संख्या 2020 में 6,44,429 थी.

2024 में भी यह आंकड़ा 6,44,429 ही था.

पेंशन पाने 50 किलोमीटर पैदल चल कर पहुंचे थे बुजुर्ग

ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ में पिछले चार सालों में वृद्धावस्था पेंशन के लिए कोई पात्र बुजुर्ग मिला ही नहीं.

कहीं केवाईसी का हवाला दे कर तो कहीं कागजों के पूरे नहीं होने का हवाला दे कर बुजुर्गों को इस योजना से बाहर रख दिया जा रहा है.

दो महीने पहले ही बीजापुर के ईरपागुट्टा गांव के दो बुजुर्ग वेलादी बीरा और वेलादी हड़मा, दो दिनों में 50 किलोमीटर की दूरी ट्रैक्टर और पैदल से तय कर के वृद्धापेंशन के लिए विकासखंड मुख्यालय भोपालपटनम पहुंचे थे.

वे पिछले 5 सालों से वृद्धावस्था पेंशन के लिए गुहार लगा रहे थे.

यह कोई अकेला मामला नहीं था.

सैकड़ों की संख्या में पात्र बुजुर्ग वृद्धावस्था पेंशन के लिए राज्य के हर ज़िले में भटकते रहे हैं. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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