राष्ट्र

EPF के मूलधन पर ब्याज नहीं: सरकार

चेन्नई | समाचार डेस्क: केन्द्र सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि ईपीएफ के मूलधन पर कोई ब्याज नहीं लगेगा. केन्द्र की ओर से दिये गये स्पष्टीकरण के अनुसार 1 अप्रैल 2016 के बाद से निवेश की 60 फीसदी राशि के ब्याज पर ही कर लिया जायेगा. उधर, सोमवार को बजट पेश किये जाने के बाद से ही सोशल मीडिया में ईपीएफ पर प्रस्तावित ब्याज के विरोध में मुहिम शुरु हो गई है. सोशल मीडिया में #rollbackEPF ट्रेंड कर रहा है. उसके बाद केन्द्र सरकार ने इस पर अपना स्पष्टीकरण जारी किया है. केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्पष्टीकरण दिया कि कर्मचारी भविष्य निधि में एक अप्रैल 2016 के बाद से निवेश की जाने वाली राशि के सिर्फ 60 फीसदी हिस्से पर दिए जाने वाले ब्याज पर कर लगेगा. सरकार ने और स्पष्ट करते हुए कहा है कि मूलधन पर कोई कर नहीं लगेगा. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि इस तिथि के बाद किए जाने वाले योगदान के 40 फीसदी ब्याज पर कर नहीं लगेगा.

वेतनभोगी वर्ग सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली के आम बजट पेश होने के बाद यह समझकर अचंभित और परेशान था कि ईपीएफ से की जाने वाली निकासी के 60 फीसदी कुल हिस्से पर कर लगेगा.

अधिया ने कहा कि लोक भविष्य निधि योगदान से संबंधित पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

आम बजट 2016-17 पेश करते हुए जेटली ने कहा था कि राष्ट्रीय पेंशन योजना से निकासी के समय कुल कोष का 40 फीसदी हिस्सा कर मुक्त रहेगा, ताकि यह बचतकर्ताओं के लिए आकर्षक बनी रहे.

जेटली ने कहा कि कानूनी वारिस को हस्तांतरित होने वाले एन्युइटी कोष पर कर नहीं लगेगा.

उन्होंने कहा कि पेंशन कोष और मान्यता प्राप्त भविष्य निधि, जिसमें ईपीएफ शामिल है, के मामले में भी एक अप्रैल 2016 को या उसके बाद किए गए योगदान से बनने वाले कोष के मामले में कोष के 40 फीसदी हिस्से के कर मुक्त रहने का नियम ही लागू होगा.

उन्होंने कहा कि सरकार कर छूट लाभ के लिए मान्यताप्राप्त भविष्य और पेंशन निधि में नियोक्ता के योगदान पर सालाना 1,50,000 रुपये की सीमा का प्रस्ताव रखती है.

कुछ मामलों में एकल प्रीमियम एन्युइटी योजना पर सेवा कर को घटाकर भुगतान किए गए प्रीमियम के 3.5 फीसदी से 1.4 फीसदी कर दिया गया है.

जेटली ने साथ ही एनपीएस द्वारा दी जाने वाली एन्युइटी सेवाओं और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को भी सेवा कर से छूट देने की घोषणा की है.

सरकर के प्रस्ताव के विरोध में जाहिर किए जा रहे असंतोष के बाद अधिया का स्पष्टीकरण आया है.

अंतर्राष्ट्रीय कर परामर्श और अंकेक्षण कंपनी नांगिया एंड कंपनी की कार्यकारी निदेशक नेहा मलहोत्रा ने कहा, “वित्त विधेयक और अधिया का स्पष्टीकरण समान नहीं है. शायद सरकर ने प्रासंगिक प्रावधान में बदलाव कर दिया है.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!