नीतीश को 140 ‘विश्वास’
पटना | समाचार डेस्क: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साबित कर दिया है कि उन पर 140 विधायकों का विश्वास है. नीतीश के विस्वास मत हासिल किये जाने के समय भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विधानसभा से अनुपस्थित रहे. इस तरह से पिछले कुछ समय से जीतन राम मांझी द्वारा किये गये ‘विद्रोह’ का पटाक्षेप हो गया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर लिया. विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में 140 मत, जबकि विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी ने सदन का बहिष्कार किया. बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के बाद नीतीश कुमार ने अपनी मंत्रिपरिषद के पक्ष में विधानसभा में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया.
तीन घंटे तक चली चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने ध्वनिमत से विश्वास मत प्रस्ताव को पारित कराने का प्रयास किया परंतु, सतारूढ़ जनता दल युनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के आग्रह पर लॉबी डिवीजन के जरिए विश्वास मत प्रस्ताव का निर्णय किया गया. लॉबी डिवीजन के बाद अध्यक्ष ने वर्तमान मंत्रिपरिषद के विश्वास के पक्ष में 140 मत होने की घोषणा की.
इधर, विश्वास मत प्रस्ताव पर नीतीश कुमार के भाषण के बीच विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने सवालों का जवाब नहीं दिए जाने और मुद्दों से भटकाने के प्रयास करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा “आपकी सफाई से हम लोग संतुष्ट नहीं हैं और भाजपा सदन का बहिष्कार करती है.”
इस पूरी कार्यवाही के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अनुपस्थित रहे, जबकि उनके समर्थक माने जाने वाले विधायकों ने भी नीतीश कुमार के समर्थन में मत दिया. विश्वास मत प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए नीतीश ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा.
उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा “भाजपा पहले ‘जय श्री राम’ का नारा लगाती थी, अब बिहार में ‘जय श्री जीतन राम’ का नारा लगाए.”
उन्होंने भाजपा पर बुजुर्ग नेताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को मार्गदर्शन समिति में रखकर ओल्डएज होम में डाल दिया गया है.
नीतीश ने कहा “आज भाजपा हमारे विरोध में खड़ी है, कभी हमारे साथ थी और हमारे पक्ष में भाषण देती थी. इसलिए उसे कोई अधिकार नहीं है कि वह जदयू और राजद के गठबंधन पर टिप्प्णी करे.”
नीतीश ने भाजपा पर गठबंधन के दलों की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाया.
इसके पूर्व, चर्चा में भाग लेते हुए सदन में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी महत्वकांक्षा के कारण बिहार में जदयू और भाजपा का गठबंधन टूटा. उन्होंने आरोप लगाया कि आज बिहार की दुर्दशा के लिए नीतीश जिम्मेवार हैं.
यादव ने राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया सलाहकार बताते हुए कहा कि जब भाजपा मुख्यमंत्री का सलाहकार थी तब बिहार विकास के पथ पर अग्रसर था परंतु सलाहकार बदलते ही बिहार बदहाली की ओर जा रहा है.
उन्होंने राजद-जदयू के गठबंधन पर चुटकी लेते हुए कहा, “नीतीश महागठबंधन कर लें या महाविलय कर लें परंतु अगले विधानसभा चुनाव में महापराजय से कोई नहीं रोक सकता.”
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार में सत्ता की लड़ाई जदयू का आंतरिक मामला है, इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा, “भाजपा को राज्य में चुनाव कराने की कोई जल्दबाजी नहीं है. भाजपा चाहती है कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे.”
उल्लेखनीय है कि मांझी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने 22 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.