आतंक से एकजुट होकर लड़ने का समय-नीतीश
गया | संवाददाता: बोधगया में आतंकी हमले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि ये वक्त राजनीति करने का नहीं है. उन्होंने कहा कि देश को इस आतंक का जवाब एकजुट हो तक ही दिया जा सकता है.
क्या महाबोधि मंदिर पर आतंकी हमले को लेकर आईबी ने पूर्व सूचना दी थी, इस सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि इस मौके पर वह इतना ही कहेंगे कि इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले जो लोग होते हैं, उनका एक ही मकसद होता है, समाज में डर का माहौल पैदा करना. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी को एकजुट रहते हुए इस परिस्थिति का मुकाबला करना है और इस घटना के बाद जो भी जरूरी इंतजाम होंगे, किए जाएंगे. यह पूछे जाने पर कि वह इसे सुरक्षा में चूक मानते हैं या नहीं, नीतीश ने कहा कि महाबोधि मंदिर की सुरक्षा का इंतजाम पहले से जिस स्तर लोगों ने जरूरी समझा, किया. पर अब पता लगाया जाना है कि वहां बम रखने में हमलावर कैसे सफल हुए और वे कौन लोग थे.
नीतीश ने बताया कि पहले भी महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के लिए अधिकारियों को निर्देश थे और आज की घटना के बाद सुरक्षा और भी मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा. केंद्र सरकार से महाबोधि परिसर और उसके पास के दूसरे मंदिरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने को कहा जाएगा. नीतीश ने बताया कि मंदिर के बाहर सुरक्षा इंतजाम हैं और मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. जांच में इन कैमरों की मदद ली जाएगी.
गौरतलब है कि बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में रविवार को तड़के एक के बाद एक आठ ब्लास्ट हुआ था. इन बम धमाकों में कम से कम 4 लोगों के घायल होने की खबर थी, जिसमें दो विदेशी सैलानी भी शामिल है. यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शामिल महाबोधि मंदिर में हुये इन बम धमाकों को लेकर आईबी ने पहले ही राज्य सरकार को चेतावनी दी थी. लेकिन एक के बाद एक 8 धमाकों ने साबित कर दिया कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लापरवाही बरती गई. अभी तक इस ब्लास्टकी जिम्मेवारी किसी ने नहीं ली है.
महाबोधि मंदिर में सुबह चार बजे से ही पूजा शुरू हो जाती है और यहां देश-विदेश से मौजूद बौद्ध भिक्षु जुटने लगते हैं. 260 ईपू के इस महाबोधि मंदिर में बुद्ध की एक बहुत बड़ी मूर्त्ति स्थापित है. यह मूर्त्ति पदमासन की मुद्रा में है. यहां यह अनुश्रुति प्रचलित है कि यह मूर्त्ति उसी जगह स्थापित है, जहां बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था. बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद दूसरा सप्ताह यहीं बोधि वृक्ष के आगे खड़ी अवस्था में बिताया था. यहां पर बुद्ध की इस अवस्था में एक मूर्त्ति बनी हुई है.