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साध्वी प्रज्ञा को बेल नहीं मिली

मुंबई | समाचार डेस्क: साध्वी प्रज्ञा को एनआईए की विशेष अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया है. अदालत का कहना है कि उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया सबूत उपलब्ध हैं. इसलिये उनके जमानत पर विचार नहीं किया जा सकता है. गौरतलब है कि पिछले महीने एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा के जमानत के लिये अपनी अनापत्ति दे दी थी. जिस से लग रहा था कि अगली सुनवाई में साध्वी को बेल मिल जायेगी.

उल्लेखनीय है कि मालेगांव विस्फोट में मारे गए बिलाल के पिता सैयद निसार अहमद ने इस मामले में दखल देने का आवेदन देते हुए ज़मानत याचिका का विरोध किया था. पिछले सप्ताह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की ज़मानत याचिका पर बहस हुई थी, जिसके बाद विशेष न्यायधीश श्रीपद टेकले ने अपना फ़ैसला सुरक्षित कर लिया था.

सैयद निसार अहमद के वकील ने अदालत में दलील दी कि इससे पहले एटीएस ने पुख़्ता सबूत जुटाए थे और उसके पास गवाहों के बयान भी थे और एनआईए ये नहीं कह सकता कि साध्वी के ख़िलाफ़ सबूत नहीं हैं.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक विशेष अदालत ने यहां मंगलवार को 2008 मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत याचिका नामंजूर कर दी.

साध्वी प्रज्ञा ने अपनी याचिका में कहा था कि एनआईए द्वारा जुटाए गए सबूतों के अनुसार उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता. लेकिन, विशेष न्यायाधीश एन. ए. तिकोले ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी के खिलाफ प्रथमदृष्टया सबूत उपलब्ध हैं, इसलिए जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता.

एनआईए ने पिछले महीने जमानत के लिए अपनी अनापत्ति दे दी थी और कहा था कि साध्वी के खिलाफ जो सबूत हैं, वे उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

साध्वी ने कहा कि ‘उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है’, इसलिए उन्हें जमानत दे दी जाए.

उन्होंने अदालत में यह दलील भी दी कि कुछ गवाह, जिनके बयानों के आधार पर उन पर मामला दर्ज किया था, बाद में मुकर गए थे और उन्होंने महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत दर्ज कराई थी.

उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित मुस्लिम बहुल शहर मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में सात लोग मारे गए थे.

मालेगांव विस्फोट के एक पीड़ित ने भी साध्वी प्रज्ञा की जमानत का विरोध किया था. उनका कहना था कि उन्हें जमानत दिए जाने पर विस्फोट में घायल हुए गवाहों की जान को खतरा होगा.

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