छत्तीसगढ़

अब बनी सतनामी पार्टी

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में अखिल भारतीय सतनाम सेना नामक संगठन ने राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की है.

इसके साथ ही सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास साहेब ने आगामी विधानसभा चुनावों में राज्य के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी का प्रत्याशी उतारने की घोषणा भी की. उन्होने राजनीति का शुद्धिकर‡ण करने के उद्देश्य से पार्टी बनाने का दावा किया.

सतनाम समाज के धर्म गुरु बालदास साहेब ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि अखिल भारतीय सतनाम सेना नाम का संगठन पहले से ही रा’य में कार्यरत है. इसी संगठन को राजनीतिक दल का रूप दिया जा रहा है. समाज के लोगों के सामने घोषणा करने के लिए प्रेसवार्ता के बाद प्रदेश स्तरीय सर्व समाज सम्मेलन का आयोजन भी किया गया है.

राजनीतिक पार्टी बनाने के उद्देश्य को स्पष्ट करने हुए उन्होने कहा कि उनके समाज को सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक दृष्टि से कहीं भी सहयोग नहीं मिल रहा है. वे लोग सरकार और समाज के बीच माध्यम बन कर रह गए हैं. इस दौरान उन्होने आरोप लगाया कि दोनों दलों में शामिल सतनामी समाज के नेताओं की बिल्कुल भी नहीं चल रही है. उन्होंने प्रदेश में 90 विधानसभा क्षेत्रों में लडऩे के बाद आने वाले समय में उन्होने किसी भी पार्टी को समर्थन देने से इंकार किया.

पूर्व मुख्यमं˜त्री अजीत जोगी द्वारा सतनामी समाज को समर्थन देने की बात को सिरे से खारिज करते हुए
उन्होने कहा कि अजीत जोगी ने आज तक समाज के हित में एक भी काम नहीं किया है. वहीं आरंग के विधायक
रुद्रगुरु गुरू साहेब के वंशज तो हैं परंतु वे आज तक गुरू बनने के लायक नहीं बन सके हैं.

उन्होने बताया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने गिरौदपुरी में बने जैतखाम पर खूब राजनीति की है. समाज में 177 मीटर ऊंचा जैतखाम बनाने की मांग की थी. नेताओं ने 77 मीटर का निर्माण कर इससे ऊंचा बनाने वाले कारीगर देश में नहीं होने की बात कह दी.

उन्होने वर्तमान दोनों दलों में शामिल सतनामी नेताओं पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा कि नेताओं की पार्टी में कोई इज्जत नहीं है उनकी पार्टी सहित आलाधिकारी नहीं सुनते हैं.

अलग होने के प्रमुख कार‡णों को गिनाते हुए उन्होने कहा कि अनुसूचित जाति के आरक्ष‡ण को 16 प्रतिशत से ƒहटाकर 12 प्रतिशत किया गया, प्रदेश में राजनीतिक दलों द्वारा सतनामियों की ƒउपेक्षा, भेदभाव एवं शोषण किया जा रहा है. जिसमें समाज को स्वरोजगार से दूर रखकर शिक्षितों को नौकरी न देना एवं नौकरी पेशा लोगों को प्रताडि़त करना प्रमुख है.

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