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ओजोन परत: नई चुनौती

लंदन | एजेंसी: शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि क्षणभंगुर अवयवों की वजह से ओजोन परत के समक्ष नई चुनौती पैदा हो गई है. इन रसायनों की वजह से ओजोन परत के क्षय होने का खतरा बढ़ गया है. ये ऐसे रसायन हैं, जिनके नियंत्रण का उल्लेख ओजोन परत के बचाव के लिए तैयार संयुक्त राष्ट्र संधि के मसौदे में नहीं है.

शोध के मुताबिक, इस तरह के क्षणभंगुर अवयवों की मात्रा वायुमंडल में तेजी से बढ़ रही है.

ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के मुख्य शोधकर्ता लेखक रायन हुसैनी के मुताबिक, “वीएसएलएस में प्राकृतिक और औद्योगिक दोनों तरह के स्रोत शामिल हो सकते हैं. वीएसएलएस पर नियंत्रण को संयुक्त राष्ट्र मोंट्रियल प्रोटोकॉल के दायरे में नहीं लाया गया है, क्योंकि ऐसा माना जाता रहा है कि इन रसायनों से ओजोन परत को मामूली क्षति पहुंचती है.”

हुसैनी ने आगे कहा, “लेकिन अब शोध में हमने यह पता लगाया है कि इनमें से कुछ रसायनों की मात्रा पर्यावरण में तेजी से बढ़ रही है और यदि इन्हें इसी तरह बढ़ने दिया गया तो ये मोंट्रियल प्रोटोकॉल के कारण ओजोन परत को होने वाले लाभ को प्रभावहीन कर देंगे.”

शोधकर्ताओं ने इस शोध के तहत ओजोन परत और जलवायु पर वीएसएलएस के प्रभाव का पता लगाने के लिए पर्यावरण के 3डी कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया.

शोधकर्ताओं ने पाया कि क्लोरोफ्लूरोकार्बन जैसी वायुमंडल में अधिक देर तक रहने वाली गैसों की तुलना में वीएसएलएस से ओजोन परत के क्षय को कम क्षति पहुंचती है.

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