भूकंप से तबाह नेपाली अर्थव्यवस्था
काठमांडू | समाचार डेस्क: भूकंप से नेपाली अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच गई है. भूकंप के कारण नेपाल के सबसे बड़े उद्योग पर्यटन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. इसी के साथ अब नेपाल को स्वास्थ्य तथा घर बनाने में ज्यादा खर्च करने पड़ेगे. हालांकि, उत्पादित मालों तथा कट चुकी फसलों पर इसका कोई प्रभाव पड़ने की बात को जानकार नकार रहें हैं. फिर भी इससे नेपाल की जीडीपी कम होने जा रही है. नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप का कृषि, पर्यटन, सेवा तथा उद्योग जैसे आर्थिक क्षेत्रों पर व्यापक असर पड़ा है.
केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो भूकंप से हुए नुकसान का आंकलन करने में जुटा हुआ है. शुरुआती अनुमान के मुताबिक यह नुकसान अरबों डॉलर का हो सकता है और इससे उबरने में नेपाल को वर्षो लग सकते हैं.
भूकंप से हुई तबाही के कारण मौजूदा कारोबारी साल में 5-6 फीसदी विकास दर हासिल करने का लक्ष्य पूरा होने की संभावना नहीं है.
वित्त मंत्री राम शरण महात ने शुक्रवार को कहा था कि अनुमानित विकास दर हासिल करना असंभव है.
महात ने कहा, “भूकंप से पर्यटन, उद्योग और कृषि सहित सभी आर्थिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.”
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भूकंप से पर्यटन, बैंकिंग और रियल एस्टेट क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.
भूकंप के बाद नेपाल से बड़ी संख्या में पर्यटक बाहर चले गए हैं और जो पर्यटक नेपाल आने की सोच रहे थे, उन्होंने अपने टिकट रद्द करा दिए हैं.
वित्तीय संस्थानों के कुछ समय तक बंद रहने के कारण बैंकों का ऋण देने का काम प्रभावित हुआ है और रियल एस्टेट क्षेत्र को फिर से साख जमाने में काफी मेहनत करनी होगी.
नेपाल के केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक के शोध विभाग के प्रमुख मिन बहादुर श्रेष्ठ ने कहा, “आने वाले समय में सेवा क्षेत्र के रियल एस्टेट, बैंकिंग और पर्यटन कारोबार में नकारात्मक या सुस्त विकास दर्ज की जा सकती है.”
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याणकारी गतिविधियों पर खर्च बढ़ने के कारण इन क्षेत्रों में बेहतर विकास दर्ज किया जाएगा.”
अभी तक सिर्फ एशियाई विकास बैंक ने अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान का मूल्यांकन किया है. एडीबी के प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, नेपाल की विकास दर 4.2 फीसदी रह सकती है. एडीबी ने मार्च में 4.6 फीसदी विकास दर का अनुमान दिया था.
एडीबी ने कहा कि यदि आपूर्ति प्रभावित होती है तो विकास दर के अनुमान को और घटाकर 3-3.5 फीसदी किया जा सकता है.
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भूकंप से व्यापक तबाही हुई है, फिर भी इसका नेपाल की अर्थव्यवस्था पर असर बहुत अधिक नहीं होगा, क्योंकि भूकंप आने से पहले वर्तमान कारोबारी वर्ष के विगत नौ महीने में काफी उत्पादन हो चुका है. नेपाल का कारोबारी वर्ष 16 जुलाई से शुरू होकर 15 जुलाई को समाप्त होता है.
अर्थशास्त्री शशांक शर्मा के मुताबिक, भूकंप से हुए नुकसान का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद का 30-35 फीसदी तक हो सकता है. नेपाल की जीडीपी का मूल्य लगभग 1.95 करोड़ डॉलर का है.
उन्होंने भी हालांकि कहा कि काफी कुछ उत्पादन पहले ही हो चुका है और भूकंप के बाद उत्पादन में कमी आने का समग्र प्रभाव अधिक नहीं होगा.
शर्मा राष्ट्रीय योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे विकास दर में इस साल एक प्रतिशतांक गिरावट आने का अनुमान है. यह गिरावट सेवा क्षेत्र पर पड़े नकारात्मक असर, सरकार की निर्माण गतिविधियों में होने वाली कमी और विनिर्माण क्षेत्र पर असर होने के कारण हो सकती है.”
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भूकंप का कृषि क्षेत्र पर अधिक प्रभाव नहीं दिखेगा, क्योंकि अधिकतर प्रमुख फसलों की कटाई पूरी हो चुकी है. औद्योगिक क्षेत्र पर भी अधिक असर नहीं दिखेगा, क्योंकि कारोबारी साल पूरा होने को कुछ ही दिन रह गए हैं. साथ ही अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान सिर्फ छह फीसदी है.
पूर्व वित्त सचिव रामेश्वर खनाल ने कहा कि धान, गेहूं और मक्के जैसे प्रमुख फसलों की कटाई हो चुकी है, इसलिए भूकंप से इस साल विकास दर पर अधिक असर नहीं होगा.
उन्होंने कहा, “भूकंप का असर सब्जियों के उत्पादन और मवेशियों पर रह सकता है, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर अधिक नहीं होगा.”
अर्थशास्त्रियों ने हालांकि कहा कि भूकंप प्रभावित क्षेत्र में लोगों की साधारण तौर पर कृषि क्षेत्र पर निर्भरता के कारण उनकी जीविका प्रभावित होगी.
अर्थशास्त्रियों ने हालांकि कहा कि अगले कारोबारी साल में निर्माण कार्य में तेजी आने से सामग्रियों और श्रमिकों की मांग बढ़ेगी और इससे विकास दर में तेजी दर्ज की जाएगी.
सरकार ने 200 अरब नेपाली रुपये के पुनर्निर्माण कोष का गठन करने की घोषणा की है. इस कोष से अगले पांच साल में क्षतिग्रस्त सरकारी, निजी और ऐतिहासिक भवनों का निर्माण किया जाएगा.
खनाल ने हालांकि कहा कि विकास दर इस बात पर निर्भर करती है कि निर्माण कार्य कितनी तेजी से चलता है.
उन्होंने कहा, “पुनर्निर्माण गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए एक केंद्रीय नोडल एजेंसी की जरूरत होगी, जिसके पास तेजी से फैसला ले सकने का अधिकार हो.”