ओली अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे
काठमांडू | समाचार डेस्क: नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने अल्पमत में आने के बाद भी इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है. केपी शर्मा ओली इस्तीफा देने के बजाये सदन में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का मन बना लिया है. उल्लेखनीय है कि प्रचंड की माओवादी पार्टी द्वारा समर्थन वापसी के बाद भी ओली नेपाली संसद की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. उसके पास संसद में 175 सदस्य हैं.
सरकार के गठबंधन की मुख्य घटक पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने मंगलवार को गठबंधन सरकार पर नए संविधान से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को लागू करने में नाकाम रहने, शांति प्रकिया में विलंब और 25 अप्रैल, 2015 के भीषण भूकंप के बाद नवनिर्माण से जुड़े काम कराने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए समर्थन वापस ले लिया था.
समर्थन वापसी के बाद उम्मीद की जा रही थी कि ओली इस्तीफा देकर नई सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे.
ओली ने लेकिन पार्टी एवं सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दलों के साथ बैठक के बाद इस्तीफा देने के बजाय सदन में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का निर्णय लिया. इसी के बाद नेपाली कांग्रेस और माओवादी पार्टी ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दर्ज कराया है.
ओली मंत्रिमंडल में उपप्रधानमंत्री सहित आठ मंत्री माओवादी पार्टी से थे. सभी ने ओली को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
नेपाली कांग्रेस के मुख्य सचेतक ईश्वरी न्यूपाने ने मीडिया से कहा कि नेपाली कांग्रेस और माओवादी दलों के 245 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया है. यह प्रस्ताव संसद के सचिवालय में पंजीकृत किया गया.
नेपाल की दूसरी संविधान सभा का चुनाव 2013 में हुआ था. पिछले साल 20 सितंबर को नए संविधान को स्वीकृति देने के बाद से यह अभी देश की संसद के रूप में काम कर रहा है. 601 सदस्यों वाली संसद में नेपाली कांग्रेस के 190 सदस्य हैं, जबकि माओवादी सदस्यों की संख्या 80 है.
ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत माओवादी लेनिनवादी) के 175 सदस्य हैं.
अविश्वास प्रस्ताव दर्ज कराने से पहले माओवादियों ने ओली को इस्तीफा देने के लिए तीन घंटे का समय दिया, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.
नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की बुधवार को हुई बैठक में भी इस्तीफा देने से इनकार करने पर ओली के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पंजीकृत कराने का निर्णय लिया गया.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने कार्यसमिति की बैठक में सत्ता में साझेदारी को लेकर माओवादियों के साथ हुए करार और ओली को बदलना क्यों जरूरी था, इसकी जानकारी दी.