नेपाल ने चीन की तरफ बढ़ाया हाथ
काठमांडू | समाचार डेस्क: भारतीय सीमा पर व्यापारिक अवरोध पैदा होने के बाद नेपाल ने चीन से आपसी सीमा पर जल्द-से-जल्द दो व्यापारिक मार्ग को फिर से खोलने का अनुरोध किया है. यह जानकारी शुक्रवार को मीडिया रपटों से मिली. नेपाल के नए संविधान पर भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक गतिरोध और भारत-नेपाल सीमा पर व्यापारिक अवरोध के बीच काठमांडू अब चीन के साथ व्यापार खोलने के विकल्प पर विचार कर रहा है.
नेपाल का 90 फीसदी से अधिक व्यापार भारत के साथ होता है, क्योंकि दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे देश जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है.
नेपाली मीडिया रपटों के मुताबिक, भारत-नेपाल सीमा चौकियों पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने के बीच नेपाल सरकार ने बीजिंग को उन मार्गो को फिर से चालू करने का अनुरोध किया है, जो 25 अप्रैल के भूकंप के बाद अवरुद्ध हो गया है.
नेपाल के वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने यहां चीनी दूतावास के अधिकारियों से बुधवार और गुरुवार को वार्ता की.
अधिकारियों ने तातोपानी और रासुवगधी सीमा चौकियों को खोलने में चीन की मदद मांगी है.
मंत्रालय के सचिव नइंद्र प्रसाद उपाध्याय ने कहा, “दिवाली और दशहरा पास होने के कारण हमने चीन को जल्द-से-जल्द सीमा चौकियों को खोलने का अनुरोध किया है.”
उन्होंने बताया कि चीन के अधिकारियों का जवाब सकारात्मक है.
रासुवगधी मार्ग का औपचारिक संचालन दिसंबर 2014 में शुरू हुआ था. भूकंप के बाद बाराबिसे-तापोपानी-खासा और नुवाकोट-रासुवगधी-केरुंग मार्ग बंद पड़ा है.
उन्होंने कहा, “चीन की ओर से जैसे ही काम पूरा हो जाता है, हम जल्द-से-जल्द इस मार्ग को खोलने के लिए तैयार हैं.”
उल्लेखनीय है कि तराई क्षेत्र में गत 40 दिन से हड़ताल के कारण भारत की ओर से नेपाल को आपूर्ति बाधित हो गई है.
इसके साथ ही नेपाल में नया संविधान लागू होने के बाद भारत की ओर से सीमा चौकियों पर सख्त जांच और देरी के कारण समस्या और बढ़ी है.
सरकार के मुताबिक नेपाल में अभी खाद्यान्न भंडार सिर्फ करीब दो महीने का है.
नेपाल चीन से रेडीमेड वस्त्र, जूते-चप्पल, कॉस्मेटिक, मशीनों के पुर्जे और हार्डवेयर, फलों और इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात करता है.