नेपाल में ‘संविधान-2072 बीएस’ लागू
काठमांडू | समाचार डेस्क: नेपाल में रविवार को नया संविधान विक्रम संवत-2072 लागू हो गया है. इसी के साथ नेपाल ने राजशाही तथा हिन्दू राष्ट्र को त्यागकर अपने लोकतांत्रिक देश होने की संविधान के जरिये घोषणा कर दी है. नेपाल में रविवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ. बरसों के राजनैतिक उथल-पुथल और हिंसक संघर्षो के बाद नेपाल में नया संविधान लागू हो गया. इस ऐतिहासिक मौके पर पूरे देश में जश्न है. लोग सड़कों पर निकल आए, आतिशबाजी और रोशनी कर अपनी खुशी का इजहार किया.
नए संविधान में नेपाल को सात राज्यों वाले एक धर्मनिरपेक्ष संघीय गणराज्य के रूप में परिभाषित किया गया है. सभी सातों राज्यों की अपनी विधानसभा होगी. नए संविधान के लागू होने के साथ ही अंतरिम संविधान रद्द हो गया है.
पूरे नेपाल में लाखों लोगों ने नए संविधान का स्वागत रोशनी से किया है. पूरा नेपाल जैसे दीपावली मना रहा है. सरकार ने इस मौके पर रविवार और सोमवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर रखा है.
राष्ट्रपति राम बरन यादव ने संविधान सभा के हाल में आयोजित एक विशेष समारोह में ‘नेपाल का संविधान-2072 बीएस’ को लागू करने की घोषणा की. बीएस का अर्थ बिक्रम संबत है.
लेकिन, कुछ संगठन नए संविधान से खुश नहीं है. इसी के मद्देनजर राजधानी काठमांडू में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बल की तैनाती की गई है.
संविधान सभा ने संविधान को 90 फीसदी मतों से मंजूरी दी थी. तराई क्षेत्र के 69 सदस्यों ने संविधान बनाने की प्रक्रिया का बहिष्कार किया था.
मधेशी, थारू, नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने के समर्थक और युनाइटेड कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल (माओवादी) से अलग हुआ गुट संविधान का विरोध कर रहे हैं.
नया संविधान लागू होने की घोषणा से पहले राष्ट्रपति ने इसकी पांच प्रतियों पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने कहा कि नए संविधान ने गणराज्य को अब एक संस्थाबद्ध रूप दे दिया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि नया संविधान नेपाल को आर्थिक तरक्की की राह पर ले जाएगा.
नए संविधान के लागू होने के बाद राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों के लिए नए सिरे से चुनाव होंगे. एक महीने के अंदर ये चुनाव कराने होंगे.
संविधान सभा अब एक नियमित संसद में बदल गई है.
नए संविधान में आर्थिक समानता और सामाजिक न्याय पर आधारित एक समतामूलक समाज बनाने की बात कही गई है.
संविधान की प्रस्तावना में बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली, नागरिक आजादी, मानवाधिकार, मत देने का अधिकार, प्रेस की आजादी, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका और कानून आधारित समाजवाद की बुनियाद पर एक खुशहाल राष्ट्र के निर्माण की बात कही गई है.
देश के कार्यकारी अधिकार मंत्रिपरिषद में निहित होंगे. राष्ट्रपति औपचारिक रूप से देश के राष्ट्राध्यक्ष होंगे. नए संविधान ने देश में आनुपातिक प्रतिनिधित्व चुनाव प्रणाली की बुनियाद डाली है.
साल 2008 में माओवादियों ने संविधान सभा का चुनाव जीतकर देश से राजशाही का खात्मा किया था. लेकिन संविधान सभा नया संविधान बनाने में नाकाम रही थी.
2012 में पहली संविधान सभा भंग कर दी गई. दूसरी संविधान सभा का गठन 2013 में हुआ था.