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शनिवार को नेकचंद का अंतिम संस्कार

चंडीगढ़ | समाचार डेस्क: फेंके गये कचरे से कलात्मक कृतियां बनाने वाले नेकचंद का निधन शुक्रवार को हो गया. उनके बनाये रॉक गार्डन को देखने विदेशों से भी पर्यटक आते हैं. उसी विख्यात नेकचंद का अंतिम संस्कार शनिवार को होगा. उनका यहां पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 90 वर्षीय नेकचंद के निधन की जानकारी उनके परिजनों ने दी. नेकचंद मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा कैंसर से पीड़ित थे और पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे.

चंडीगढ़ प्रशासन ने विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त वास्तुकार नेकचंद के सम्मान में शुक्रवार को अपने कार्यालयों में एक दिन का अवकाश घोषित किया है.

परिजनों ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रॉक गार्डन में रखा गया है. साथ ही बताया कि उनका का अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा.

बीते साल दिसंबर माह में ही महान रचनाकार नेकचंद ने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेकचंद के निधन पर शोक जताया है.

मोदी ने ट्वीट में लिखा, “नेकचंद जी हमेशा अपनी कलात्मक प्रतिभा और शानदार रचना के लिए याद किए जाएंगे, जिसने कई लोगों को आकर्षित किया. उनकी आत्मा को शांति मिले.”

राजनीतिज्ञ, कलाकारों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने नेकचंद के निधन पर शोक व्यक्त किया.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उनके निधन पर दुख और शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि नेकचंद को उनके रचनात्मक योगदान के लिए लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा.

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि उन्हें उनकी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उनकी कृतियां रचनात्मकता, सौंदर्यशास्त्र और कड़ी मेहनत का उदाहरण हैं.

पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया ने उनके निधन पर शोक जताया.

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि रॉक गर्डन एक श्रेष्ठ कृति है और हजारों लोग इसे देखने आते हैं.

पंजाब सरकार के सहायक मीडिया सलाहकार विनीत जोशी ने नेकचंद के काम को सम्मान देते हुए कहा कि चंडीगढ़ हवाईअड्डे का नाम उनके नाम पर रखना चाहिए. चंडीगढ़ शहर को उसकी पहचान दिलाने में योगदान के लिए नेकचंद को 1980 में पेरिस ने ग्रांड मेडल ऑफ वरमिल से सम्मानित किया था.

नेकचंद भारत के सर्वाधिक चर्चित कलाकारों में से एक थे. उनकी कृतियां पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन तथा बर्लिन जैसे दुनिया के मशहूर शहरों के हिस्सा बनी हैं. उनपर विभिन्न भाषाओं में कई किताबें भी लिखी जा रही हैं. कई देशों ने उन्हें मानद नागरिकता की भी पेशकश की.

नेकचंद का जन्म 15 दिसंबर 1924 को शकरगढ़ तहसील के गुरदासपुर गांव में हुआ था. अब यह इलाका पाकिस्तान में आता है. 1947 में वह चंडीगढ़ आकर बस गए.

वह 1950 और 1960 के दशक में चंडीगढ़ में एक निर्माण परियोजना में सड़क निरीक्षक थे. उस समय इस ‘खूबसूरत शहर’ का डिजाइन फ्रांस के वास्तुकार ली कॉरबुजे तैयार कर रहे थे.

नेकचंद ने लोगों द्वारा फेंके जाने वाले कचरे से कलात्मक कृतियां बनाने की कला ईजाद की और उत्तरी चंडीगढ़ के वन क्षेत्र में चुपचाप अपनी प्रयोगशाला बनाई, ताकि वह अपनी कृतियों को आकार दे सकें.

1970 के दशक के मध्य में नेकचंद की कृतियों को पहचाना गया और इसे रॉक गार्डन का नाम दिया गया. इस उद्यान का आधिकारिक रूप से अक्टूबर 1976 में उद्घाटन किया गया.

उन्हें 1984 में पद्मश्री से नावाजा गया, लेकिन नेकचंद फाउंडेशन का मानना है कि भारतीय कला जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें और उच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए.

नेकचंद की कलाकृतियों में टूटी हुई चूड़ियों, मिट्टी के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक स्विच, प्लग, ट्यूब लाइट, मार्बल, टाइल्स, घरों में बेकार पड़े सामान, पत्थर, भवन निर्माण सामग्री तथा अन्य चीजों को भी शामिल किया गया है.

रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सेक्टर-एक में स्थित है. यह 35 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे नेकचंद द्वारा निर्मित एक ऐसे ‘साम्राज्य’ के रूप में जाना जा सकता है, जिसमें ग्रामीण परिवेश तथा अन्य स्थानों के साथ-साथ भारत के समग्र जीवन एवं पारिस्थितिकी को दर्शाया गया है. यहां झरना, ओपन थियेटर तथा एक छोटा-सा तालाब भी है. नेकचंद के जाने के बाद भी उनका बनाया रॉक गार्डन उनकी यादें दिलाता रहेगा.

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