छत्तीसगढ़ विशेष

सिरपुर के पुरावैभव को सहेजने में लापरवाही

रायपुर । संवाददाताः छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सिरपुर में अवैध उत्खनन के कई सवाल खड़े कर दिए गए हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या सिरपुर से प्राचीन मूर्तियों की तस्करी हो रही हैं?

25 जून को इस प्रसिद्ध पुरा स्थल से वन विभाग ने एक जेसीबी जब्त की थी, जिससे एक टीले की खुदाई की जा रही थी.

यह पूरा मामला तब संज्ञान में आया जब खुदाई के लिए लाई गई जेसीबी खराब हो गई और आरोपी उसे लेकर भागने में कामयाब नहीं हो पाए. आरोपियों ने जेसीबी वहीं छोड़ दी.

ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी, जिसके बाद वन अमला सक्रिय हुआ और जेसीबी को जब्त किया गया.

माना जा रहा है कि तस्कर गड़े धन या बेशकीमती मूर्ति की लालच में जेसीबी से खुदाई कर रहे थे. खुदाई वाली जगह से भगवान गणेश की एक मूर्ति बरामद हुई है, जिसे वन विभाग ने पुरातत्व विभाग को सौंपा है.

जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या सिरपुर में प्राचीन मूर्तियों की तस्करी चल रही है और अब जाकर पहली बार यह राज खुला है?

इतिहास का झरोखा है सिरपुर

सिरपुर छत्तीसगढ़ का सुप्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल है, जो महासमुंद जिले में स्थित है. इसे बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना है.

महानदी के तट पर बसा सिरपुर गुप्तोत्तर काल में दक्षिण कोसल के शासक शरभपुरीय और सोमवंशी राजाओं की राजधानी रही है. इसे पहले श्रीपुर के नाम से जाना जाता था.

सोमवंशी राजा महाशिवगुप्त बालार्जुन के समय में इस क्षेत्र की अभूतपूर्व उन्नति हुई, जिसके प्रमाण सिरपुर में उपलब्ध प्राचीन स्मारक, भग्नावेश, अभिलेख और शिलालेखों में दिखाई देते हैं.

वैष्णव और शैव धर्म को स्वीकार्य करने वाले सोमवंशी राजाओं के समय में ब्राह्मण धर्म के सभी सम्प्रदायों के साथ बौद्ध एवं जैन मत के विकास के प्रमाण सिरपुर के उत्थान से मिले हैं.

सिरपुर के धार्मिक एवं नागरिक वास्तुकला, दैवीय एवं लौकिक प्रतिमाएं, अभिलेख और विविध प्राचीन वस्तुओं का क्षेत्रीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है.

सिरपुर और उसके आसपास का पूरा क्षेत्र भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा 1908 में केन्द्र संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था.

इस पूरे क्षेत्र में एएसआई की अनुमति के बिना किसी प्रकार की खुदाई नहीं की जा सकती. जेसीबी या किसी मशीन से खुदाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.

इसके बावजूद संरक्षित क्षेत्र में जेसीबी से खुदाई ने वन विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

पूरा मामला क्या है

25 जून को सिरपुर के संरक्षित क्षेत्र से वन विभाग ने एक जेसीबी जब्त की थी. जेसीबी के माध्यम से वन परिक्षेत्र क्रमांक-4 में खुदाई की गई थी.

ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. वन विभाग का अमला जब घटना स्थल पर पहुंचा तब पता चला कि कुछ लोगों ने एक टीले की खुदाई की है.

घटना स्थल पर एक जेसीबी मिली, जो बंद हालत में थी.

बताया जा रहा है कि जेसीबी खराब हो गई थी, जिसके कारण आरोपी उसे ले जा पाने में सफल नहीं हो पाए और उसे वहीं छोड़ दिया.

वन विभाग ने जेसीबी को जब्त कर लिया है. जेसीबी रायपुर जिले के खरौरा निवासी नरेंद्र वर्मा की बताई जा रही है.

हालांकि, वन विभाग ने अभी तक जेसीबी मालिक और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई है.

महासमुंद डीएफओ पंकज राजपूत ने बताया कि संभवतः धन या बेशकीमती मूर्तियों के लालच में जेसीबी से खुदाई की जा रही थी. जेसीबी को जब्त कर लिया गया है और उसे राजसात करने की प्रक्रिया चल रही है. जेसीबी मालिक का भी पता चल गया है. उनके बयान में जेसीबी को किराए से देने की बात सामने आई है.

डीएफओ पंकज राजपुर ने कहा कि “मामले से जुड़े अन्य तथ्यों की पड़ताल की जा रही है. दोषियों का पता उसके बाद ही चल पाएगा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भी इस संबंध में पत्र लिखा गया है.”

खुदाई में मिली गणेश प्रतिमा

मामले का पता चलने के बाद वन विभाग और वन प्रबंधन समिति के सदस्य जब घटना स्थल पर पहुंचे तो उन्हें निरीक्षण के दौरान एक गणेश प्रतिमा मिली.

गणेश प्रतिमा पांडुवंशी राजाओं के काल की बताई जा रही है. इसके 7वीं शताब्दी के आसपास के होने का अनुमान है.

गणेश प्रतिमा को वन विभाग ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लोगों को सौंपा है.

पुरातत्व विशेषज्ञों ने जेसीबी से खुदाई वाली जगह की अब नए सिरे से खुदाई की जरूरत बता रहे हैं. उनका कहना है कि एएसआई से अनुमित लेकर स्थल की खुदाई की जानी चाहिए और उस पूरे स्थान को संरक्षित किया जाना चाहिए.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अब बरसात के दिनों में भी उत्खनन की अनुमित देता है. अपाताकाल में तो 24 घंटे के भीतर भी अनुमित मिल जाती है.

अब यह जिम्मेदारी भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के रायपुर में कार्यरत अधिकारियों की है कि वे कब अनुमित लेकर स्थल की खुदाई कर संरक्षित करते हैं.

सब झाड़ रहे अपना पल्ला

इस पूरे प्रकरण में वन विभाग से एएसआई, जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य पुरातत्व विभाग सब अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.

मामले को सामने आए पांच दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

इस पूरे प्रकार में वन विभाग की कार्रवाई भी सवालों के घेरे में है. वन विभाग ने अभी तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कराई है.

वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के अधिकारी पांच दिनों के बाद भी घटना स्थल पर नहीं पहुंच पाए हैं. कुछ अधिकारी सिरपुर जरूर पहुंचे थे, लेकिन बारिश के कारण मौका मुआयना नहीं कर पाए.

1908 के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, सिरपुर और उसके आसपास का क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है. इसके चलते राज्य पुरातत्व विभाग मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

चूंकि वन विभाग के अधिकारियों ने अभी तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कराई है, इसलिए पुलिस भी मामले से दूरी बनाए हुए है.

अब पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन के दखल की जरूरत बताई जा रही है.

अंधविश्वास के चलते पुरा वैभव को क्षति

पुरातत्व के जानकारों के अनुसार, सामान्य जनमानस में अंधविश्वास के चलते प्राचीन वैभव को क्षति पहुंच रही है.

आमतौर पर लोगों की धारणा है कि पुरातात्विक जगहों पर खजाना छिपा होता है और वे इसकी तलाश में एसे स्थलों की अवैध खुदाई की कोशिश करते रहते हैं.

जबकि एसे स्थलों में पुरा वैभव का खजाना छिपा होता है. इन स्थानों के माध्यम से पुराने समय के इतिहास और संस्कृति की जानकारी मिलती है.

लेकिन इस तरह की भ्रांतियों के कारण पुरातत्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले- चोरी हो रही प्राचीन मूर्तियां

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिरपुर में जेसीबी से खुदाई के मामले में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “सिरपुर पुरातात्विक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण स्थल है. वहां हमेशा से ही मनुवली खुदाई होती थी, लेकिन अब जेसीबी से खुदाई हो रही है.

सिरपुर में आज तक जेसीबी का उपयोग नहीं हुआ था, लेकिन अब इस सरकार में जेसीबी से खुदाई हो रही है और वहां से प्राचीन मूर्तियों के चोरी का सिलसिला शुरू हो गया है.”

भूपेश बघेल के इस आरोप पर राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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