विधानसभा का सत्र बुलाने पर विवाद
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसके लिए 3 जून की तिथि नियत की गई है हालांकि इसकी अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है. इस पर केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत का कहना है कि नक्सली हमले में शहीद कांग्रेस नेताओं का दशगात्र तक नहीं हुआ है, ऐसे में हड़बड़ी में सत्र बुलाने का क्या मतलब है?
डॉ. महंत ने कहा कि जिस समय यह बैठक रखी गई है, पार्टी के लोग शहीदों के परिवारों से मिल-जुल रहे हैं या जा रहे हैं. अभी शहीदों के परिवारों में धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम चल रहे हैं. पांच तारीख को दशगात्र का कार्यक्रम है. ज्यादातर विधायक वहां जाएंगे. ऐसे में विधानसभा में कौन विधायक मौजूद रहेगा? यद्यपि वे विधायक नहीं है, लेकिन जिस तरह हड़बड़ी में सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया है, यह उचित नहीं है. नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने छत्तीसगढ़ से चर्चा में कहा कि हमसे पूछकर तारीख तय नहीं हुई थी. कांग्रेस विधायक दल अधिसूचना जारी होने के बाद ही इस पर निर्णय लेगा.
यह भी कहा गया है कि श्रद्धांजलि के अलावा कोई और विषय होने पर कांग्रेस विधायक दल इसका बहिष्कार कर सकता है. बताया गया कि संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से चर्चा के बाद श्रद्धांजलि के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है. सरकार से इस आशय का प्रस्ताव विधिवत विधानसभा को भेजा गया है. विधानसभा से अनुमोदन के बाद शासन से अधिसूचना के लिए प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाएगा. विधानसभा के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह पूरी कार्रवाई अभी प्रक्रियाधीन है, जबकि राजभवन विशेष सत्र बुलाने के मामले में बेखबर है.
हालांकि राज्यपाल शेखर दत्त ने ही सर्वदलीय बैठक बुलाने का सुझाव सरकार को दिया था. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस मामले में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत और नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे व अन्य दलों के नेताओं से बात कर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, लेकिन कांग्रेस ने इसका बहिष्कार कर दिया. नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि सब कुछ लुटाने के बाद अब सर्वदलीय बैठक बुलाने का कोई मतलब नहीं है.
बैठक को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा होने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सर्वदलीय बैठक बुलाने को लेकर हमसे चर्चा हुई थी, लेकिन एजेंडा और विषयवस्तु को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई. सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस को छोड़कर बाकी विपक्षी दल सीपीआई, सीपीएम, बीएसपी, एनसीपी और सत्तारूढ़ भाजपा के नेता मौजूद थे.