कर्मा की मौत साजिश
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमले को लेकर बयानों का सिलसिला शत्म नहीं हो रहा है. इस हमले में मारे गये कांग्रेसी नेती महेंद्र कर्मा के बेटे दीपक वर्मा ने कहा है कि इस मामले में साजिश की गई है और इसकी जांच होने से मामला सामने आ जायेगा. इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामसेवक पैकरा ने कहा है कि भाजपा हर तरह की जांच के लिए तैयार है. हमारी ईमानदार कोशिश है कि दरभा का पूरा सच सामने आये. क्या अजीत जोगी, चरणदास महंत, रविन्द्र चौबे, भूपेश बघेल, कवासी लखमा सहित सभी संदिग्ध कांग्रेस नेता अपना नारको टेस्ट कराने के लिए तैयार हैं?
रामसेवक पैकरा ने कहा कि जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं उससे लग रहा है कि कांग्रेस के ही कुछ ऐसे लोगों का इस दु:खद घटना में हाथ है, जो केवल राजनीतिक लाभ के लिए साजिशों का जाल बुनने में भरोसा करते हैं. श्री पैकरा ने महेन्द्र कर्मा के पुत्र दीपक कर्मा के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि दीपक ने कहा है कि उनके पिता जिस मार्ग से जाते थे, उसी मार्ग से लौटते नहीं थे. दीपक ने जांच की मांग की है कि आखिर उस वक्त श्री कर्मा को उसी रास्ते से लौटने क्यों मजबूर किया गया? श्री पैकरा ने कहा कि श्री कर्मा के पुत्र का कहना है कि यह राजनीतिक षड्यंत्र है. नक्सलियों में इतनी हिम्मत नहीं कि वे श्री कर्मा पर इस तरह हमला कर पाते.
छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि पार्टी का भी यह मानना है कि दरभा हमला कांग्रेस की राजनीतिक साजिश का परिणाम है. यही कारण है कि घटना के बाद कांग्रेस के नेता या तो मुंह चुराते घूम रहे थे या खुद को बचाने के लिए मुख्यमंत्री के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी कर रहे थे. जबकि मुख्यमंत्री ने दिवंगत नेताओं के परिजनों से मुलाकात के साथ ही सुरक्षा इंतजामों की भी चिंता की और फौरन न्यायिक जांच बैठा दी.
इधर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता अजीत जोगी ने रमन सरकार को प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पदस्थ शासकीय कर्मियों की मन:स्थिति एवं पीड़ा को महसूस करने की हिदायत दी है. जोगी ने कहा कि रमन सरकार के साढ़े नौ वर्षो की दहशत के माहौल में तिल-तिल कर जी रहे नक्सली क्षेत्र के कर्मचारियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. प्रदेश में शासकीय कर्मचारी नक्सली दहशत के कारण सही तरीके से अपना फर्ज नहीं निभा पा रहे हैं. तब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां की बेबस एवं बेकसूर जनता कितनी भयावह त्रासदी झेल रही है.
अजीत जोगी ने आरोप लगाया कि सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्री एवं उच्च पदस्थ अधिकारी राजधानी से आदेश देकर चुपचाप अपने वातानुकूलित आवासों में अपने परिवार के साथ दुबके बैठे रहते हैं. वहीं शासकीय कर्मचारी एवं उनका परिवार गर्मी, ठण्ड एवं बरसात की मार झेलने मजबूर हैं. इन सबके बावजूद नक्सली हमलों का डर दिन-रात सताये रहता है.
अजीत जोगी ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को दस-पंद्रह वर्ष नक्सली क्षेत्र में सेवा करने के बावजूद उन्हें मैदानी इलाकों में ट्रांसफर नहीं किया जाता है, क्योंकि अधिकांश कर्मियों के पास ट्रांसफर के लिए न तो पैसा है और न ही उनके पास किसी भाजपा नेता की सिफारिश है. इस प्रकार उन्हें नक्सलियों के रहमोंकरम पर छोड़ दिया गया है.