NIT झड़प के नेपथ्य में ‘राष्ट्रवाद’
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: कश्मीर के एनआईटी में छात्रों के बाच हुई झड़प ‘राष्ट्रवाद’ के अतिरंजित उभार का नतीजा है. कश्मीर के एनआईटी में पढ़ने वाले छात्रों में वेस्ट इंडीज से भारत की हार के बाद टकराव देखे गये. कश्मीर से बाहर के छात्र जहां भारत के समर्थन में नारे लगा रहे थे वहीं कश्मीर के छात्र वेस्ट इंडीज की जीत पर फटाके फोड़ रहे थे. जाहिर है कि इसकी परिणिती छात्रों के दो गुटो में टकराव से हुई तथा पुलिस ने गैर कश्मीरी छात्रों की पिटाई कर दी. खेल को खेल भावना से लेने के स्थान पर जब उसे ‘राष्ट्रवाद’ के चश्मे से देका गया तो यह टकराव हुआ.
इससे पहले भी भारत कई मैचो में हार चुका है लेकिन तब इस तरह के टकराव की खबर नहीं आई थी. साफ है कि देशभर में ‘राष्ट्रवाद’ के नाम पर जो बहस छेड़ दी गई है यह उसका ही नतीजा है. पुलिस पर आरोप है कि उसने टकराव को रोकने के स्थान पर गैर कश्मीरी छात्रों की पिटाई कर दी. इससे मामला और भड़क गया. पुलिस का काम कानून-व्यवस्था को बरकरार रखना है लेकिन यहां पर उस पर आरोप है कि वह ‘पार्टी’ बन गई.
भाजपा के समर्थन से सरकार में आई पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के लिये पहली चुनौती है कि एलआईटी मामले से इस तरह निपटे कि इससे कश्मीरी बनाम गैर कश्मीरी की भावना कम हो बढ़े नहीं.
दूसरी तरफ केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने अपनी टीम भेजी है जिसके समक्ष गैर कश्मीरी छात्रों ने बताया कि किस तरह से पुलिस ने उनके साथ मारपीट की है. मामले नेपथ्य में अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है जिससे निपटना महबूबा मुफ्ती के लिये टेढ़ी खीर नहीं तो आसान भी नहीं है.
केंद्र सरकार के तीन अधिकारियों के एक दल ने बुधवार को कश्मीर के एक अभियंत्रण कॉलेज का दौरा किया. इस कॉलेज में एक दिन पहले ही स्थानीय और गैर-स्थानीय छात्रों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. इस तनाव ने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली नवगठित गठबंधन सरकार के लिए पहली बड़ी चुनौती पेश कर दी है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निदेशक संजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय टीम ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के अधिकारियों एवं प्रदर्शनकारी गैर स्थानीय छात्रों से मुलाकात की. ये छात्र दो दिनों से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं. इनका आरोप है कि जब ये भारत समर्थक नारेबाजी करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन करना चाह रहे थे तो जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन्हें लात-घूसों से मारा. घटना के बाद एनआईटी परिसर के भीतर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है.
टीम ने पहले एनआईटी के निदेशक और उसके बाद प्रदर्शनकारी गैर स्थानीय छात्रों से मुलाकात की. इन छात्रों ने इस टीम को कहा कि वे कक्षाओं का बहिष्कार जारी रखेंगे. उन्होंने अपने कॉलेज को श्रीनगर से घाटी के बाहर किसी सुरक्षित जगह पर स्थानांतरित करने की मांग की है.
कश्मीर में हजरत बल दरगाह के पास स्थित एनआईटी में यह समस्या तब पैदा हो गई, जब पिछले हफ्ते टी20 विश्वकप क्रिकेट में भारत वेस्टइंडीज से हार गया. परिसर में प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि स्थानीय छात्र वेस्टइंडीज का समर्थन कर रहे थे जबकि गैर स्थानीय छात्र भारत के समर्थन में थे. वेस्ट इंडीज की जीत के बाद पटाखों की गूंज सुनाई देने लगी. इससे गैर स्थानीय छात्र कॉलेज के स्थानीय छात्रों के खिलाफ उत्तेजित हो गए.
मैच के एक दिन बाद गैर कश्मीरी छात्रों ने ‘भारत माता की जय’, ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला. इसके बाद स्थानीय छात्र भी जमा हुए और आजादी के समर्थन में और भारत के खिलाफ नारेबाजी की. इससे उपजे तनाव को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने चार अप्रैल तक कक्षाएं रद्द कर दीं.
इसी बीच मंगलवार को करीब 500 गैर स्थानीय छात्रों ने तिरंगा झंडा लिए और ‘भारत माता की जय’ नारेबाजी करते हुए मार्च निकाला. पुलिस ने उन्हें परिसर के मुख्य द्वार पर ही रोक दिया था.
इन छात्रों ने पुलिस पर परिसर में घुसकर छात्रों को पीटने का आरोप लगाया. यह भी कहा गया है कि पुलिस ने कुछ विकलांग छात्रों को भी धक्का दे दिया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पत्थरबाजी करने का आरोप लगाया है. छात्रों ने इससे इनकार किया है.
इस केंद्रीय दल को मंगलवार को हुई झड़प के कारणों का पता लगाने के लिए कहा गया है. छात्रों ने आशंका जताई कि 11 अप्रैल से शुरू हो रही परीक्षाओं उनके साथ अनुचित व्यवहार हो सकता है. इस पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सूरत में कहा कि परीक्षा समाप्त होने तक यह टीम वहीं रहेगी.
परिसर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है.
एनआईटी के मुताबिक, चार वर्षीय डिग्री कोर्स के तीसरे वर्ष के लगभग 500 गैर स्थानीय छात्र और कुछ नए छात्र कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं, जबकि अन्य स्तरों के 1,000 अन्य गैर स्थानीय छात्र कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं. इसी के साथ जुड़ा हुआ सवाल है कि एक ही देश के नागरिक होने के बावजूद कश्मीरी तथा गैर कश्मीरी छात्रों की राय अलग क्यों हैं उस मुद्दे को भी सुलझाने की जरूरत है.
एक दूसरा मुद्दा भी है कि भारत में पहले हैदराबाद यनिवर्सिटी का मुद्दा उठा, उसके बाद जेएनयू का मुद्दा उठा. दोनों से केन्द्र सरकार की छवि को नुकसान हुआ है. अब कश्मीर के एनआईटी में पुलिस हस्तक्षेप ने यूनिवर्सिटी के मामले को और संवेदशील बना दिया है. (एजेंसी इनपुट के साथ)