नेशनल हेराल्ड: बुरे फंसे सोनिया, राहुल
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया तथा राहुल पर शिकंजा कसता जा रहा है. भारतीय राजनीति के पुराने धुरंधर तथा वर्तमान में भाजपा के छत्रछाया के तले सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पार्टी के अखबार नेशनस हेराल्ड मामले में गांधी परिवार पर फंड की हेराफेरी करने का संगीन आरोप लगाया है. मामला अदालत में है तथा सोनिया एवं राहुल गांधी को निचली अदालत द्वारा सम्मन जाकी किया गया है. जिसे गांधी परिवार खारिज करवाने के लिये सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण में गया था. परन्तु दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी यह याचिका खारिज कर दी है. इसी के साथ यह खबर मीडिया की सुर्खिया बन गया है. शायद स्वामी का मकसद भी यह भी है.
यदि अदालत की टिप्पणी या फैसला सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी के खिलाफ आता है तो सत्ता पक्ष इसे मुद्दा बनाने से नहीं चूकेगा. दूसरी तरफ इससे कांग्रेस की भाजपा के खिलाफ किये जा रहे हमलों की धार कुंद होगी. गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की एक याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज कर दिया. इस याचिका में कांग्रेस नेताओं ने निचली अदालत द्वारा खुद के खिलाफ जारी समन को रद्द करने का अनुरोध किया था.
इस मामले में शिकायतकर्ता भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी हैं. कांग्रेस ने इस मामले को भाजपा की ‘क्षुद्र प्रतिशोध की राजनीति’ बताया है. पार्टी ने स्वामी की शिकायत को गलत समझ पर आधारित बताया है. सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस मामले में मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकती है.
पार्टी के संचार मामलों के विभाग के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि पार्टी ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में ‘राजनैतिक विरोधियों द्वारा प्रायोजित’ ऐसे कई मामले देखे हैं.
उन्होंने बयान में कहा, “माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में दिए गए फैसले को कांग्रेस झटका नहीं मानती जैसा कि मीडिया के एक हिस्से में इसे बताया जा रहा है. कानूनी सलाह के आधार पर, हम मामले को माकूल कानूनी मंच पर उठाएंगे ताकि भाजपा का झूठ और इसके गंदे तिकड़मबाज विभाग की कारगुजारियां जनता के सामने बेनकाब हो सकें.”
बयान में कहा गया है, “भाजपा की केंद्रीय समिति के सदस्य स्वामी द्वारा दायर यह शिकायत भाजपा की क्षुद्र प्रतिशोध की राजनीति का हिस्सा और पूरी तरह गलत समझ पर आधारित है. यहां तक कि शिकायत में कही गई बातें भी नहीं कहतीं कि देश के कानून के तहत कोई अपराध हुआ है. यह पूरा मामला सनसनी फैलाने के लिए, राजनैतिक बदला लेने के लिए और कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम करने के लिए है.”
भाजपा ने उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है. पार्टी प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा, “यही होता है जब आप कौड़ियों के दाम में विशाल संपत्ति खरीदते हैं. भारत का कानून सभी के लिए समान है. सोनिया जी, राहुल जी, लुका छिपी ज्यादा देर नहीं चलती.”
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुनील गौर द्वारा याचिका खारिज करने का अर्थ यह हुआ कि सोनिया और राहुल को निचली अदालत में पेश होना होगा. अदालत ने कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह जरूरी है कि इसकी सही तरीके से पड़ताल हो.
सोनिया और राहुल के अलावा कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नाडिस और सुमन दुबे को भी निचली अदालत में पेश होना होगा. इनके खिलाफ जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका भी उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है.
निचली अदालत ने 26 जून को स्वामी की शिकायत पर समन जारी किए थे. स्वामी का आरोप है कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण ‘धोखाधड़ी’ है और ‘यंग इंडिया में सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी है.’
सोनिया गांधी के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि निचली अदालत द्वारा सोनिया व अन्य के खिलाफ जारी समन को रद्द कर दिया जाना चाहिए. स्वामी ने इनके खिलाफ जो शिकायत दर्ज की है, वह महज आरोप है जिसका कोई सबूत नहीं है.
उन्होंने कहा कि कंपनी एक्ट के तहत यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में कुछ भी कानून के खिलाफ नहीं है.
एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करती थी. यह अखबार छपना बंद हो चुका है.
स्वामी का दावा है कि वाईआईएल द्वारा एजेएल के अधिग्रहण से सोनिया और राहुल को लाभ हुआ है क्योंकि कंपनी में इन्हीं की मुख्य रूप से हिस्सेदारी है. एजेएल को कांग्रेस पार्टी ने 90.25 करोड़ का ब्याजमुक्त कर्ज दिया और फिर पार्टी ने इस कर्ज को वाईआईएल को 50 लाख में स्थानांतरित कर दिया.
स्वामी का कहना है कि उस वक्त एजेएल के अध्यक्ष वोरा थे. एजेएल ने कहा था कि वह कर्ज नहीं चुका सकती और उसने कंपनी और इसकी संपत्तियों को वाईआईएल को स्थानांतरित करने पर सहमति जताई थी.
स्वामी ने सोमवार के अदालती आदेश पर कहा, “अदालत ने कहा है कि मामले में सार है. इसलिए आरोपियों पर मुकदमा शुरू होना चाहिए. आरोपियों को कल दिल्ली की पटियाला कोर्ट में पेश होना होगा. आरोपियों को जमानत मिलती है या नहीं, यह अलग मामला है. वे सर्वोच्च न्यायालय भी जा सकते हैं.” कांग्रेस इस मामले में सर्वोच्य न्यायालय का रुख कर सकती है तथा एक याचिका के खारिज हो जाने से पहाड़ नहीं टूट पड़ता परन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आरोप आर्थिक कदाचरण का है तथा यह व्यक्ति विशेष पर लगाया गया है.