मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते: सर्वे
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: हालिया सर्वे के अनुसार भाजपा के नरेन्द्र मोदी का देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना, सपना ही रह सकता है. सर्वे में बताया गया है कि एनडीए के खाते में यदि आज ही चुनाव हो जाये तो 207 से 217 तक लोकसभा की सीट आयेंगी. ऐसे में भाजपा को और सहयोगियों की आवश्यकता पड़ेगी ताकि 272 का आकड़ा पार किया जा सके. इस बात को लेकर राजनीतिक हल्कों में पहले से ही चर्चा चल रही है कि जरूरत पड़ने पर भाजपा मोदी के बजाये लालकृष्ण आडवाणी को आगे करके अन्य दलों का समर्थन लेने की कोशिश करेगी.
गौरतलब रहे कि 19 दिसंबर को लालकृष्ण आडवाणी के तीन पुस्तकों के विमोचन को अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने उन्हें आगाह किया था कि वे अपने को पार्टी से दूर न रखें वर्ना पार्टी बरबाद हो सकती है. मोहन भागवत के कहने का तात्पर्य यह था कि आरएसएस 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का प्रधानमंत्री देखना चाहती है. इसलिये वह लालकृष्ण आडवाणी को राजनीति में सक्रिय रहने की नसीहत दे रही थी.
इंडिया डुडे-सी वोटर के सर्वे के अनुसार आज की तारीख में लोकसभा के चुनाव यदि होते हैं तो भाजपा सबसे बड़े पार्टी के रूप में लोकसभा में उभरेगी. सर्वे के अनुसार भाजपा को 72 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. भाजपा को अकेले 188 सीटें मिलने जा रही है. जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 116 लोकसभा के सीट मिले थे. सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो रहा है. कांग्रेस को लोकसभा में केवल 91 सीटों से संतोष करना पड़ेगा. 2009 के चुनाव में कांग्रेस को 206 सीटें मिली थी. इस प्रकार कांग्रेस को 115 सीटों का नुसान होने जा रहा है. इससे स्पष्ट है कि यूपीए को 98 से 108 तक सीटें मिलने जा रही है.
इंडिया टुडे-सी वोटर के सर्वे के अनुसार एनडीए के सहयोगी दलों में शिव सेना को 14 सीटें मिलने का अनुमान है जो पिछले चुनाव की तुलना में तीन अधिक है. शिरोमणि अकाली दल को पांच सीटें, आरपीआई को 2, नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी को एक, हरियाणा जनहित कांग्रेस को 1 और स्वाभिमानी पक्ष को एक सीट मिल सकती है. झामुमो-इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 2-2 जबकि नेशनल कांफ्रेंस और केरल कांग्रेस को एक-एक सीट मिल सकती है. यूपीए के सहयोगियों में एनसीपी को चार सीटों का नुकसान हो सकता है और यह पांच तक सिमट सकती है. रालोद को भी चार सीटों का नुकसान हो सकता है और यह एक तक सिमट सकती है.
सर्वे से स्पष्ट है कि एनडीए को 272 का जादुई आकड़ा छूने के लिये कई अन्य दलों के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी. गौरतलब है कि भाजपा की पुरानी सहयोगी जनता दल युनाईटेड ने मोदी के कारण ही उनका साथ छोड़ा था. ऐसे में भाजपा तथा संघ येन-केन-प्रकारेण अपना प्रधानमंत्री बनाने के लिये मोदी के बजाये लालकृष्ण आडवाणी का नाम आगे करने के लिये बाध्य हो जायेंगे. भाजपा में अटल बिहारी बाजपेई के बाद लालकृष्ण आडवाणी ही ऐसे नेता हैं जिन्हें दूसरे दल स्वीकार करते हैं.यदि ऐसा होता है तो नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकेंगे. हालांकि यह सब तभी होगा जब इंडिया टुडे-सी वोटर के सर्वे के अनुसार ही लोकसभा चुनाव का नतीजा हो.