नंद कुमार साय भाजपा में लौटे
रायपुर | संवाददाता : भाजपा से कांग्रेस में गए आदिवासी नेता नंद कुमार साय की घर वापसी हो गई है.
उन्होंने आज कांग्रेस छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ले ली है. मंगलवार को उन्होंने कुशाभाउ ठाकरे परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में विधिवत सदस्यता ग्रहण की.
मई 2023 में उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ कर कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया था.
जनसंघ और भाजपा से जुड़े रहे पांच बार के सांसद, तीन बार के विधायक और मप्र-छत्तीसगढ़ में भाजपा के अध्यक्ष रहे नंद कुमार साय के कांग्रेस में जाने को लेकर सभी चकित थे.
वे पिछले 50 सालों से जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा से जुड़े हुए थे.
नंद कुमार साय ने कांग्रेस प्रवेश के बाद कहा था कि अटल,आडवाणी की जो पार्टी थी, वो पार्टी अब उस रूप में नहीं है. परिस्थितियां बदल चुकी हैं. साय ने कहा कि दल महत्वपूर्ण नहीं है, आम जनता से लिए काम करना है. मिलकर काम करेंगे तो छत्तीसगढ़ अच्छा होगा.
तब क्या कहा था विष्णुदेव साय ने
पिछले साल नंद कुमार साय के कांग्रेस प्रवेश के बाद भाजपा के सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने तब कहा था, “हमें आज भी अपने वरिष्ठ नेता के मान-सम्मान की अधिक चिंता है…भाजपा परिवार उनका घर है, सदैव उनका इस परिवार में स्वागत रहेगा. पार्टी का दरवाज़ा उनके लिए खुला है और रहेगा भी.”
अपने बयान में विष्णुदेव साय ने कहा था कि साय जी जैसे वरिष्ठतम नेता इस तरह कांग्रेस जैसी पार्टी के ट्रैप में फंस जाएंगे, भरोसा नहीं हो रहा है.
विष्णुदेव साय ने कहा, “आशंका यह भी है कि कहीं किसी तरह से उन्हें ब्लैकमेल तो नहीं किया गया है. इस बात की जांच होनी चाहिए कि वे किसी अनुचित दबाव के कारण तो ऐसा नहीं कर रहे… पार्टी को अब भी उम्मीद है कि वह नंद कुमार साय को मना लेगी.”
हालांकि तब उन्हें मनाने की कोशिश नाकाम हो गई थी.
राजनीतिक सफर
1977 में अपातकाल के बाद, जब अविभाजित मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए तो उन्होंने नवगठित जनता पार्टी की टिकट पर तपकरा सीट से चुनाव लड़ा और वे चुनाव जीत गए.
1985 में वे फिर विधायक चुने गये और मध्यप्रदेश विधानसभा में उन्हें भाजपा विधायक दल का उपनेता बनाया गया.
1989 में नंद कुमार साय ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार संसद पहुंचे.
1996 में जब वे दोबारा सांसद बने तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल का संयोजक बनाया गया.
1997 में उन्हें फिर राज्य की ज़िम्मेवारी सौंपी गई और वे मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गये. उस समय नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश के प्रभारी थे.
1998 में नंद कुमार साय फिर विधायक बने और 2000 में जब अलग छत्तीसगढ़ राज्य बना तो पार्टी ने उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया था.
2004 में लोकसभा के चुनाव में वे तीसरी बार सांसद चुने गए.
नंद कुमार साय को 2009 और 2010 में राज्यसभा का सदस्य बनाया गया. राज्यसभा का कार्यकाल ख़त्म हुआ तो 2017 में उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया.