नाना नहीं करते दादागिरी
मुंबई। डेस्कः “आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने”…इस संवाद को सुनते ही दिलो-दिमाग पर नाना पाटेकर की तस्वीर बन जाती है.
यह संवाद फिल्म में तो खूब पसंद किया गया, लेकिन आप को पता नहीं होगा कि यह संवाद स्क्रिप्ट में था ही नहीं. शूटिंग के दौरान अचानक नाना पाटेकर के दिमाग में ये लाइन आई और उन्होंने बस बोल दिया और इस एक संवाद ने धूम मचा दी.
असल में क्रांतिवीर के क्लाइमेक्स से पहले नाना पाटेकर बीमार हो गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. अस्पताल से छुट्टी होते ही नाना पाटेकर सीधे शूटिंग सेट पर पहुंच गए.
फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और क्लाइमेक्स में फांसी की सजा वाली सीन से पहले नाना पाटेकर अचानक से एक संवाद बोलते हैं- “आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने.”
संवाद सुन कर सभी चौंके लेकिन बात सबको जंच गई. स्क्रिप्ट राइटर को भी जंची और निर्देशक को भी. और उनकी इस पसंद पर दर्शकों ने मुहर लगा दी.
सच तो ये है कि नाना पाटेकर की फ़िल्मों में बाकि कहानी और अभिनय अपनी जगह हैं लेकिन उनके बोले संवाद की हमेशा एक अलग छाप रही है.
नाना पाटेकर ने फिल्मी करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं.
नाना पाटेकर जिस भी फिल्म का हिस्सा होते हैं, उसमें लीड एक्टर कोई भी हो, चर्चा तो उनकी जरूर होती है. दमदार अदाकारी से वह दर्शकों के दिमाग पर छा जाते हैं.
नाना के सबसे चर्चित फिल्मों में तिरंगा, परिंदा, प्रहार, क्रांतिवीर आदि हैं.
नाना का कहना है कि वो कहानी के हिसाब से कई बार संवाद गढ़ते हैं या उसमें संशोधन करते हैं. बशर्ते निर्देशक इसकी छूट दे.
वे कहते हैं-“मैं दादागिरी नहीं करता. संवाद बेहतर हो, फिल्म बेहतर हो, अपनी तरफ़ से इसकी कोशिश करता हूं.”
नाना पाटेकर ने पिछले कुछ सालों में फिल्मों से कहीं अधिक समाजसेवा में अपना ध्यान लगाया है और वे इन दिनों कर्जे से पीड़ित किसानों के लिए काम कर रहे हैं.
वे लगातार कर्ज के कारण आत्महत्या की कगार पर पहुंच चुके किसानों की आर्थिक मदद भी करते हैं.
दिलचस्प ये है कि नाना अब भी अपनी पुरानी जीवनशैली में अपने छोटे से फ्लैट में ही रहते हैं.