नान घोटाले की जांच पर रोक नहीं
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नान मामले में एसआईटी जांच पर रोक से इंकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने सरकार को यह बताने के लिये कहा है कि उसने किस अधिकार के तहत एसआईटी बनाई है.
राज्य में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने 2013-14 में हुये कथित नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले की एसआईटी जांच पर रोक लगाने के लिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि इस मामले में आरोप पत्र पेश किया जा चुका है. मामला सुनवाई के अंतिम चरण में है. ऐसे में एसआईटी जांच पर उन्होंने सवाल उठाये थे.
मामले की सुनवाई करते हुये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने एसआईटी जांच से रोक पर इंकार कर दिया.
हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार को कहा है कि वह शपथ पत्र दे कर जवाब पेश करे कि उसने किस अधिकार से एसआईटी का गठन किया है.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी कहा है कि किसी व्यक्ति को इस मामले में बड़ा नुकसान न हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाये.
छत्तीसगढ़ का नान घोटाला
छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने 12 फरवरी 2015 को राज्य में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मार कर करोड़ों रुपये बरामद किये थे.
इसके अलावा इस मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज़, हार्ड डिस्क और डायरी भी एंटी करप्शन ब्यूरो ने जब्त किये थे.
आरोप है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में राइस मिलरों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी की गई.
इसी तरह नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारी घोटाला किया गया.
इस मामले में 27 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया था. जिनमें से 16 के ख़िलाफ़ 15 जून 2015 को अभियोग पत्र पेश किया गया था. जबकि मामले में दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अनुमति के लिये केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी गई.
दोनों अधिकारियों के ख़िलाफ़ 4 जुलाई 2016 को केंद्र सरकार ने अनुमति भी दे दी. लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. लगभग ढ़ाई साल बाद इन दोनों अधिकारियों के ख़िलाफ़ पिछले साल 5 दिसंबर को पूरक चालान पेश किया गया है.
कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपियों से एक डायरी भी बरामद की थी, जिसमें ‘सीएम मैडम’ समेत तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के कई परिजनों के नाम कथित रुप से रिश्वत पाने वालों के तौर पर दर्ज़ थे.
आरोप है कि इस कथित डायरी के 107 पन्नों में विस्तार से सारा कथित लेन-देन दर्ज़ था लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने इस डायरी के केवल 6 पन्नों का सुविधानुसार उपयोग किया.
एंटी करप्शन ब्यूरो के तत्कालीन मुखिया मुकेश गुप्ता ने सार्वजनिक तौर पर इस मामले को लेकर स्वीकार किया था कि इस घोटाले के तार जहां तक पहुंचे हैं, वहां जांच कर पाना उनके लिये संभव नहीं है.