बुध ग्रह दिखेगा 6-7 मई को
वड़ोदरा | एजेंसी: बुध ग्रह को देखना अपने आप में बहुत ही दुर्लभ अवसर होता है. लेकिन अंतरिक्ष में बन रहे कुछ संयोग के कारण इस ग्रह को छह और सात मई को देखा जा सकता है. यह जानकारी यहां स्थित गुरुदेव वेधशाला से संबद्ध खगोलशास्त्री दिव्य दर्शन डी. पुरोहित ने दी है.
पुरोहित ने कहा कि शुक्र और बुध पृथ्वी और सूर्य के बीच में घूमने वाले ग्रह हैं. इसलिए इन दोनों आंतरिक ग्रहों को पूरी रात के दौरान नहीं देखा जा सकता. जब वे सूर्य से अति दूर के कोणीय अंतर पर होते हैं, तभी उन्हें देखना अच्छा रहता है.
पुरोहित के अनुसार, बुध हर दो माह में अपनी दिशा बदलता रहता है, यानी एक बार पूर्व में तो दूसरी बार पश्चिम में दिखाई देता है. लिहाजा जब वह एलोंगासन पर हो उसे तभी देखा जा सकता है.
पुरोहित ने बताया, “बुध का कोई भी चंद्र नहीं है, कोई प्राकृतिक वातावरण नहीं है. उसका तापमान 430 डिग्री से लेकर शून्य से नीचे 180 डिग्री तक के बीच घटता-बढ़ता है. ऐसे बुध को प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कोपर्निकस अपने पूरे जीवन काल में नहीं देख पाए थे. लेकिन ये बुध महाराज अब आगामी छह-सात दिनों तक पश्चिमाकाश में दिखाई देंगे.”
पुरोहित के अनुसार, “बुध छह और सात मई को इस साल के सबसे दूर यानी 21 डिग्री के कोणीय अन्तर पर होंगे, इसलिए उस दिन शाम को सूर्यास्त के बाद जहां सूर्य अस्त होंगे, लगभग उसी जगह शाम 7.40 से 8.20 बजे तक बुध को आसानी से देखा जा सकेगा.”
पुरोहित ने कहा, “उस उस समय चंद्रमा न होने के कारण उसकी चांदनी बाधा नहीं डालेगी तो बुध को आसानी से देखा जा साकेगा. उस दिन बुध वृषभ राशि में होगा और पृथ्वी से उसकी दूरी 12.40 करोड़ किलोमीटर और सूर्य से 6.4 करोड़ किलोमीटर होगी. उसका तेजस्विता अंक 0.5 होगा यानी वह काफी तेजस्वी दिखाई देगा”
पुरोहित ने बताया, “सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में बुध को देखने के लिए शुक्र का सहारा लें. शुक्र से ठीक दाएं और नीचे बुध दिखाई देगा. इन्वर्टेड विजन या छोटे दूरबीन का सहारा लेने से बुध साफ दिखाई देगा. शुक्र के ठीक ऊपर गुरु दिखाई देगा, जब कि बुध के नीचे मंगल होगा. लेकिन क्षितिज पर होने के कारण वह दिखाई नहीं देगा.”