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‘छत्तीसगढ़ में एमएसपी पर ख़रीदा 1000 करोड़ का धान बर्बाद’

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने राज्य में 1000 करोड़ रुपये के धान की बर्बादी का आरोप लगाया है. उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिख कर इस मामले में कार्रवाई के लिए अनुरोध किया है.

चरणदास महंत ने लिखा है कि पिछले साल राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर 144 लाख 12 हज़ार मैट्रिक टन धान की ख़रीदी की थी.

महंत ने अपने पत्र में लिखा है कि समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की मीलिंग करके चावल तैयार किया जाता है. इसके बाद राज्य की आवश्यकता के लिए चावल राज्य में रख कर अतिरिक्त चावल भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई को दिया जाता है. इस अवधि में धान की सुरक्षा एवं रख रखाव का उत्तरदायित्व राज्य सरकार का होता है.

डॉ. चरणदास महंत ने अपने पत्र में लिखा-“दिनांक 2 सितंबर 2024 की स्थिति में यह पाया गया कि कुल 25 लाख 93 हज़ार 880 क्विंटल धान की मीलिंग नहीं सकी थी. आगे पड़ताल करने पर यह पाया गया कि उक्त मात्रा में से 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान तो विभिन्न ख़रीदी केंद्रों पर शेष बताया जा रहा है तथा 21 लाख 77 हज़ार 470 क्विंटल धान छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के विभिन्न संग्रहण केंद्रों द्वारा शेष बताया जा रहा है.”

नेता प्रतिपक्ष ने संबंधित दस्तावेज़ों और प्रमाण के साथ राज्यपाल को लिखा कि शेष धान की स्थिति का प्रारंभिक तौर पर मुआयना करवाने पर यह पाया गया कि खरीदी केंद्रों पर जो धान रिकार्ड में शेष दिख रहा है, वहां धान है ही नहीं. इसी प्रकार संग्रहण केंद्रों पर शेष धान जो खुले आसमान के नीचे कैप क्वहर के अंदर भंडारित किया गया था, वह भी बहुत ख़राब स्थिति में है. उसका चावल बनाने पर भी, वह मानव के खाने योग्य नहीं होगा.

डॉक्टर महंत ने लिखा कि 3 सितंबर को उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर के ये आरोप लगाए थे. लेकिन राज्य सरकार ने आज तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. राज्य सरकार की चुप्पी आरोपों की पुष्टि कर रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के 33 ज़िलों में से 11 ज़िलों के ख़रीदी केंद्रों में धान की शेष मात्रा शू्न्य है. अर्थात इन 11 ज़िलों में धान ख़राब नहीं हुआ तो फिर अन्य 22 ज़िलों में भी ऐसी ही स्थिति क्यों नहीं रही? 33 ज़िलों में से केवल 6 ज़िलों के संग्रहण केंद्रों में धान का बड़ी मात्रा में भंडारण किया गया था और इन सभी 6 ज़िलों में धान ख़राब हुआ है.

ख़राब होने वाले धान के आंकड़ों को लेकर चरणदास महंत ने लिखा है कि कुल 25 लाख 93 हज़ार 880 क्विंटल धान, जिसका लागत मूल्य 4000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से, 1037 करोड़ 55 लाख रुपये होता है; ख़राब हो चुका है. यह एक बड़ी क्षति है.

चरणदास महंत ने इस पूरे मामले की जांच कराने और उत्तरदायित्व निर्धारित करने का अनुरोद राज्यपाल से किया है.

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