सांसदों का निलंबन गैर-लोकतांत्रिक
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. मोदी सरकार के खिलाफ मुखर सोनिया ने संसद के सामने प्रदर्शन किया. सोनिया ने कहा सदन चलाना सरकार का दायित्व है. वहीं, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से ‘हिंदुस्तान के मन की बात’ सुनने का आग्रह किया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा कांग्रेस के 25 सांसदों को निलंबित किया जाना गैर-लोकतांत्रिक कदम है. उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया. संसद के दोनों सदनों के कांग्रेस सदस्यों ने पार्टी सांसदों को निलंबित किए जाने के विरोध में मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बाहों पर काली पट्टी बांध कर संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया.
सोनिया ने संवाददाताओं से कहा, “सदन की कार्यवाही चलाना सरकार का दायित्व है. जिस तरीके से हमारे सांसदों को निलंबित किया गया, वह गैर-लोकतांत्रिक है. लोकतंत्र की हत्या की जा रही है.”
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के इस्तीफे की मांग को न्यायोचित बताया. उन्होंने कहा, “व्यापमं घोटाले ने हजारों लोगों की जिंदगियां बर्बाद कर दीं. सुषमा स्वराज ने कानून तोड़ा और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी के साथ अर्थिक भागीदारी है.”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को अपने ‘मन की बात’ कहना पसंद है, जबकि उन्हें ‘हिंदुस्तान के मन की बात’ ज्यादा सुननी चाहिए.”
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों को निलंबित कर देना इस मुद्दे का समाधान निकालने का तरीका नहीं है.
इससे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, जयराम रमेश और अंबिका सोनी सहित कांग्रेस के अन्य सांसदों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया.
खड़गे ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस, वाम मोर्चा और आम आदमी पार्टी ने हमें समर्थन दिया है और कहा है कि वे लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे.”
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को कांग्रेस के 25 सांसदों को जानबूझकर सदन की कार्यवाही बाधित करने और उनके द्वारा बार-बार सदन के नियमों का ध्यान रखने की चेतावनी दिए जाने के बावजूद बात न मानने के आरोप में पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया.