पैसे लेकर सिफारिशी पत्र लिखे सांसदों ने
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि 11 सांसद रिश्वत लेकर एक काल्पनिक विदेशी कंपनी के लिए सिफारिशी पत्र लिखने के लिए तैयार थे.
आपरेशन फाल्कन क्लाव के कूटनाम से ममले की स्टिंग ऑपरेशन करने वाली कोबरापोस्ट वेबसाइट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने कहा है कि इनमें से छह सांसदों ने पत्र जारी भी कर दिया है.
बहल ने कह, “छह सांसदों ने 50,000 से 75000 रुपये लेकर मेडिटेरेनियन आयल इंक के पक्ष में सिफारिशी पत्र हमें दिया भी है”. बहल कहते हैं कि इनमें से अधिकतर ने 5 लाख जबकि एक सांसद ने पत्र के एवज में 50 लाख रुपये की मांग की.
जांच के दौरान ये सांसद कैमरे पर यह कहते हुए कैद किए गए कि वे भारत में अपनी दुकानें स्थापित करने में कंपनी की मदद करने के लिए तैयार हैं
कोबरापोस्ट के मुताबिक ये सांसद – के. सुगुमार और सी राजेंद्रन (एआईएडीएमके), लालू भाई पटेल, रविंद्र कुमार पांडे और हरि मांझी (भाजपा), विश्व मोहन कुमार, महेश्वर हजारी और भूदेव चौधरी (जदयू) खिलाड़ी लाल बैरवा और विक्रमभाई अरजानभाई (कांग्रेस) और कैसर जहां (बसपा) हैं.
बहल ने कहा कि इन सांसदों में से किसी ने भी फर्म की सच्चाई जांचने की जहमत नहीं उठाई.
उन्होंने कहा, “सांसदों ने सबसे ज्यादा रुचि इस बात में दिखाई कि रुपये उन्हें नगद दिए जाएं. एक सांसद ने हवाला के जरिए नगद दिए जाने की मांग की.”
कोबरापोस्ट ने कहा है कि उसके रिपोर्टरों में से एक के. आशीष ने आशीष जादौन के जाली परिचय पर आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड की कंपनी मेडिटेरेनियन आयल इंक का प्रतिनिधि बन कर सांसदों के साथ संपर्क साधा.
सांसदों के साथ मुलाकात के दौरान रिपोर्टर ने कंपनी की वेबसाइट, ब्रॉशर और कंपनी प्रोफाइल दिखाई. खुद को कंपनी का परामर्शदाता बताते हुए रिपोर्टर ने पूर्वोत्तर भारत में तेल की खोज ठेका हासिल करने में सांसदों से समर्थन मांगा.
बहल ने बताया कि 1000 करोड़ रुपये की परियोजना का हवाला देते हुए रिपोर्टर ने सांसदों से सिफारिशी पत्र मांगा. इन सांसदों में से अधिकांश ने ऐसे मामले में अपने कर्मचारी या रिश्तेदार या बिचौलिए के माध्यम से सुलझाए.
बहल के मुताबिक, इन सांसदों ने ठीक उसी दौरान पैसे की मांग की थी जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खुदरा क्षेत्र में विदेशी भागीदारी के सवाल को लेकर सरकार की घेराबंदी कर रखी थी और यहां तक कि इस मुद्दे पर संसद को ठप कर रखा था.