अपराधी सिद्ध हुए तो छिन जाएगी नेताजी की कुर्सी
नई दिल्ली: आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाले नेताओं को राजनीति से बाहर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल से अधिक की सज़ा सुनाई जाती है तो उसकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) से तुरंत रद्द हो जाएगी.
जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने इससे संबंधित जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को गैरकानूनी बताते हुए खत्म कर दिया है जिसके अनुसार अदालत से दोषी ठहराए गए सांसद, विधायक को अपील पर अंतिम फैसला होने तक सदन का सदस्य बने रहने की छूट दी जाती थी. इससे पहले सरकार ने एक हलफनामा दाखिल करते हुए इस धारा को सही और जरूरी बताया था.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने क़ैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार और चुनाव लड़ने के अधिकार को भी समाप्त कर दिया है. फैसले के अनुसार ऐसे दागी नेता की सदस्यता तभी वापस हो पाएगी जब सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलो में उनके संबंध में फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर तत्काल प्रभाव से लागू होगा.
माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से राजनीति से अपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों को हटाने में मदद मिलेगी बल्कि पार्टियां आगे से ऐसे दागी नेताओं को टिकट भी नहीं दे पाएंगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए बीजेपी प्रवक्ताा रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कोर्ट के फैसले से विधायिका में जरूरी सुधार होगा.