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मप्र: ब्लैक लिस्टेड लेंको से बिजली खरीदी

जबलपुर | समाचार डेस्क: मध्य प्रदेश सरकार काली सूची वाली कंपनी लेंको अमरकंटक पॉवर लिमिटेड से बिजली खरीद रही है. वह भी ज्यादा दाम देकर. जिसको लेकर विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं. मध्यप्रदेश में काली सूची में डाली गई लेंको अमरकंटक पॉवर लिमिटेड से ही सरकार द्वारा महंगी दर पर बिजली खरीदी जा रही है. यह आरोप नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने लगाया है. मंच ने इससे सरकारी खजाने को चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान लगाया है. मंच के सदस्य डॉ. पी.जी. नाजपांडे ने रविवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि अनुबंध के अनुसार, पर्याप्त बिजली की सप्लाई नहीं करने के कारण लेंको को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. सरकार उसी कंपनी से बढ़ी दर पर बिजली खरीद रही है.

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी ने बिजली खरीदी के लिए इस कंपनी से 25 साल का अनुबंध किया है. बढ़ी दर पर बिजली खरीदने के कारण सरकार को 4139 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

नाजपांडे ने बताया कि ऊर्जा विभाग ने वर्ष 2007 में लेंको अमरकंटक पावर कंपनी से 2.20 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने का अनुबंध किया था. लेंको कंपनी ने अनुबंध के अनुसार राज्य सरकार को बिजली की आपूर्ति नहीं की. उस कंपनी ने प्रदेश सरकार के हिस्से की बिजली बढ़ी दर पर किसी और को बेचकर 623 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की थी. इस कारण इस कंपनी का नाम फरवरी, 2012 में ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया था.

नाजपांडे का दावा है कि कंपनी को ब्लैक लिस्ट किए जाने का आदेश अक्टूबर, 2012 में वापस लेते हुए इसी कंपनी से 300 मेगावाट बिजली 2.83 पैसे की दर से लेने का पुन: अनुबंध कर लिया गया. यह अनुबंध 25 वर्षो के लिए किया गया है. इस तरह ब्लैक लिस्ट वाली कंपनी से 63 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाकर बिजली खरीदी जा रही है. इस कारण सरकार पर 4139 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा.

उनका आरोप है कि बिजली खरीदी के इस अनुबंध को कराने में मप्र विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन राकेश साहनी की मुख्य भूमिका थी, जिन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है.

उन्होंने बताया कि इस संबध में उनके द्वारा की गई शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है, इसलिए उन्होंने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, डीजीपी, भोपाल के पुलिस अधीक्षक व ईओडब्ल्यू के उपायुक्त को कानूनी नोटिस भेजा है.

नोटिस में कहा गया है कि अगर एक माह की निर्धारित अवधि में जांच शुरू नहीं की जाती है, तो उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी.

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