ईवीएम की रखवाली में उम्मीदवार
भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश में मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद उम्मीदवारों को नतीजों की चिंता के साथ आशंकाएं भी सताने लगी हैं. यही कारण है कि कई उम्मीदवारों ने स्ट्रांग रूम, जहां इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीनें रखी गई हैं, वहां की रखवाली शुरू कर दी है.
राज्य के 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए सोमवार 25 नवंबर को मतदान हो चुका है और उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद है, नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे. ईवीएम को हर जिले में एक स्ट्रांग रूम में रखा गया है, साथ ही इन स्ट्रांग रूम की सुरक्षा-व्यवस्था पुख्ता की गई है. इसके बावजूद उम्मीदवारों को सुरक्षा के बीच भी ईवीएम में गड़बड़ी की आंशका है और वे किसी जोखिम को तैयार नहीं है.
धार जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार व विधायक पांचीलाल मेडा ने स्ट्रांग रूम के बाहर अपने समर्थकों के साथ डेरा डाल दिया है. उनका कहना है कि मतदान के दौरान ईवीएम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं और उन्हें आशंका है कि सत्ता पक्ष के लोग स्ट्रांग रूम में रखी ईवीएम में गड़बड़ियां करा सकते हैं.
मेडा वर्ष 2008 के चुनाव का हवाला देते हुए कहते हैं कि सत्ता पक्ष ने अपनी शक्तियों का भरपूर इस्तेमाल कर नतीजों को प्रभावित किया था. इसका प्रमाण धार से भाजपा उम्मीदवार नीना वर्मा का एक वोट से जीतना था, मगर बाद में न्यायालय ने कांग्रेस उम्मीदवार रमाकांत गौतम को विजयी घोषित किया. यह जाहिर करता है कि सत्तापक्ष प्रशासन के सहारे अपने उम्मीदवारों को जिताने की हर संभव कोशिश करता है.
मेडा ने तो स्ट्रांग रूम के बाहर बिस्तर लगा लिया है. वह आठ दिसंबर तक वहीं अपना अस्थायी निवास बनाकर रहेंगे.
इसी तरह जबलपुर में कांग्रेस उम्मीदवारों ने मंगलवार को स्ट्रांग रूम के बाहर डेरा डाला. बाद में तय हुआ कि उम्मीदवार के समर्थक दो-दो की पाली में स्ट्रांग रूम के बाहर निगरानी रखेंगे. कांग्रेस उम्मीदवारों को आशंका है कि सत्ता पक्ष के इशारे पर प्रशासनिकअमला गड़बड़ी कर सकता है.
वहीं जबलपुर के अपर जिलाधिकारी छोटे सिंह का कहना है कि स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों के हवाले है. इतना ही नहीं स्ट्राग रूम में जो ताले लगाए गए हैं, उन पर दोनों ही दलों के प्रत्याशियों के हस्ताक्षर हैं और हर ताले की दो चाबियां हैं जो सुरक्षा में रखी गई हैं. उम्मीदवार अपनी ओर से निगरानी रखना चाहते हैं तो यह उनका अधिकार है.
चुनाव आयोग ने चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए हैं. केंद्रीय सुरक्षा बलों का पूरा सहारा लिया है, मगर उम्मीदवारों को अब भी ईवीएम से छेड़छाड़ की आशका है.