मप्र: भोजपुरी और पंजाबी साहित्य अकादमी गठित
भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश में भोजपुरी और पंजाबी भाषाओं की साहित्य अकादमियों का गठन किया गया है. अब यहां इन दोनों भाषाओं के साहित्य के रंग बिखरेंगे और इन भाषाओं से यहां के लेागों की नजदीकियां भी बढ़ेंगी.
भोजपुरी और पंजाबी दो ऐसी भाषाएं हैं, जो सरहद पार भी बोली जाती हैं. एक ओर पंजाबी साहित्य एवं संस्कृति अपनी ओर आकर्षित करती हैं, तो दूसरी ओर भोजपुरी साहित्य एवं संस्कृति अपनी लोक परंपराओं की विरासत को विस्तारित करती जा रही है. मध्य प्रदेश में भी भोजपुरी एवं पंजाबी भाषा से जुड़े लोग कम नहीं है. इन सभी को आपस में जोड़ने और अन्य समुदायों को इन भाषाओं के नजदीक लाने के मकसद से अकादमी बनाई गई हैं.
भोजपुरी साहित्य अकादमी के निदेशक नवल शुक्ल कहते हैं, “अकादमी की मूल संकल्पना में भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति एवं कलाओं को संवर्धन, विस्तार एवं संरक्षण देना है. भोजपुरी समाज से मध्य प्रदेश अपरिचित नहीं है, पर अब साहित्य एवं संस्कृति के आयोजन को सुनियोजित तरीके से यहां किया जाना संभव होगा.”
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष गौतम ज्ञानेंद्र कहते हैं, “भोजपुरी भाषा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोली जाती है. अपनी भाषा में अभिव्यक्ति उस समाज को साहित्य एवं संस्कृति से जोड़े रखती है. समाज का भाषा एवं साहित्य से गहरा नाता है, एवं भोजपुरी साहित्य एवं संस्कृति पर शोध और अध्ययन करने से भोजपुरी समाज की समस्याओं और खासियतों को समझने में मदद मिलेगी.
पंजाबी साहित्य अकादमी के निदेशक हरि भटनागर कहते हैं, “पंजाबी साहित्य बहुत ही समृद्घ है, एवं उसके हिंदी अनुवाद से हिंदी क्षेत्र के लोग दशकों से जुड़े हुए हैं. अब हिंदी भाषी प्रदेश में पंजाबी साहित्य अकादमी के माध्यम से साहित्य एवं संस्कृति के विकास को गति मिलेगी.”
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष पुष्पेंद्र पाल सिंह कहते हैं, “पंजाब की संस्कृति एवं साहित्य को मध्य प्रदेश में महत्व देना भारतीय भाषाओं को सम्मान देना है. राज्य में पहले से ही अन्य कई भाषाओं की साहित्य अकादमियां गठित हैं. मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक बहुलता को महत्व देने का यह बहुत ही सराहनीय कार्य है.”
इन अकादमियों के गठन के बाद भोजपुरी और पंजाबी भाषा साहित्यों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजनों के जरिए स्थानीय लोगों को भी इन संस्कृतियों के करीब लाने में मदद मिलेगी और आपसी सद्भाव भी बढ़ेगा.
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने पहली अगस्त को भोजपुरी और पंजाबी साहित्य अकादमियों का विधिवत गठन किया है.