मोदी के लाहौर दौरे पर नरम-गरम
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री के अचानक शुक्रवार को लाहौर जाने पर विपक्ष की प्रतिक्रिया मिलीजुली है. मोदी के अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात के फैसले का स्वागत करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा कि यह कदम इस्लामाबाद के साथ वार्ता प्रक्रिया को सुदृढ़ करने का मार्ग प्रशस्त करेगा. भाकपा नेता डी.राजा ने कहा, “हम इस कदम का स्वागत करते हैं. यह मोदी का पाकिस्तान का पहला दौरा है और हम प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत करते हैं. यह एक अघोषित और चौंकाने वाली यात्रा है और ऐसी यात्राएं प्राय: होनी चाहिए.”
उन्होंने कहा, “यह कदम हमारे पड़ोसी के साथ संबंधों में सुधार में मदद करेगा और वार्ता प्रक्रिया सुदृढ़ होगी.”
वाम नेता ने कहा, “कई मौकों पर वार्ताएं रद्द हुईं. भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय वार्ता भी रद्द हो गई, लेकिन यह बाद में बैंकॉक में हुआ. इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का दौरा किया. अब प्रधानमंत्री भी वही कर रहे हैं.”
वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने कहा, “पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से मिलने और बातचीत करने का मोदी का निर्णय बुरा नहीं है. इसका स्वागत किया जाना चाहिए.”
माकपा के लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम ने भी इस कदम का स्वागत किया, लेकिन कहा कि स्थायी शांति के लिए अनवरत और नियमित संवाद जारी रहना चाहिए.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “एक वामपंथी होने के नाते मैं पाकिस्तान के साथ शांति एवं सहयोग की दिशा में किसी भी कदम का स्वागत करता हूं. हमें फोटो खिंचाने और निजी स्वागत समारोह से आगे बढ़ना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “सतत, नियमित संवाद और लोगों के बीच आपसी संपर्क स्थायी शांतिपूर्ण विरासत के लिए महत्वपूर्ण है.”
जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी मोदी के कदम का स्वागत किया, लेकिन संबंधों में स्थिरता की मांग की. उन्होंने राज्य सरकार पर भी चुटकी ली.
अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, “अब जम्मू एवं कश्मीर सरकार के बयान का इंतजार है, जिसका (मुख्यमंत्री) दावा है कि आज मोदी ने मुफ्ती मोहम्मद सईद के कारण लाहौर का दौरा किया.”
उन्होंने कहा, “भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से ग्रस्त रहा है और इसमें स्थिरता की कमी रही है. इस समय दोनों प्रधानमंत्रियों को संबंधों को सुधारने की ओर ध्यान देना चाहिए.”
जनता दल युनाइटेड के नेता के.सी.त्यागी ने हालांकि कहा, “एक तरफ मोदी लाहौर में नवाज शरीफ से मुलाकात कर रहे हैं और दूसरी तरफ सीमा पर हमारे जवान मारे जा रहे हैं. दोनों चीजें एक साथ कैसे चल सकती हैं.”
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक लाहौर दौरे पर सवाल उठाया. पार्टी ने पूछा कि जब भाजपा बार-बार पाकिस्तान के साथ वार्ता का विरोध करती रही है, तब यह कदम क्यों उठाया गया?
आप नेता आशुतोष ने कहा, “यही भाजपा और मोदी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल से लेकर अब तक पाकिस्तान के साथ वार्ता का विरोध करते रहे हैं. अभी ऐसा क्या बदल गया?”
उन्होंने ट्वीट किया, “हम हमेशा से कहते रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ बातचीत जरूरी है, लेकिन भाजपा विरोध करती रही. अब उन्हें देश को बताना चाहिए कि अचानक इतनी दोस्ती क्यों बढ़ गई?”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री के दौरे के बारे में हमें ट्वीट के माध्यम से जानकारी मिल रही है. भारत और पाकिस्तान के संबंध अभी उतने अच्छे नहीं हुए हैं कि किसी अन्य देश से स्वदेश लौटते वक्त वह पाकिस्तान में रुकें.”
उन्होंने सवाल किया, “संसद का सत्र अभी कुछ दिन पहले ही समाप्त हुआ है, फिर संसद व देश को अंधेरे में क्यों रखा गया. प्रधानमंत्री ने देश व संसद को विश्वास में क्यों नहीं लिया.”