मोदी के अरुणाचल दौरे पर चीन परेशान क्यों?
बीजिंग | समाचार डेस्क: भारत के प्रधानमंत्री मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे से चीन परेशान हुआ जा रहा है. चीन, प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से इतना कुपित हो गया है कि उसके विदेश उपमंत्री लिऊ झेनमिन ने शनिवार को चीन में भारत के राजदूत अशोक के. कंठ को बुलाकर मोदी की दौरे पर ‘कड़ा प्रतिवाद’ थमाया. यह जगजाहिर है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के रूप में मान्यता नहीं देता है. परन्तु यह भी सत्य है कि अरुणाचल प्रदेश में भारत की ही मुद्रा रुपया चलन में है चीन की मुद्रा नहीं. अरुणाचल प्रदेश में होने वाले चुनावों को भारत निर्वाचन आयोग ही संचालित करता है. अरुणाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री भारत के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में बराबर भागीदारी करता है. अरुणाचल प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी, भारतीय जनता पार्टी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राज्य ईकाईयां हैं न कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की. इन सबकों नजरअंदाज कर किस तरह से चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘विवादित हिस्सा’ मानता है यह समझ से परे है.
बहरहाल, लिऊ ने ‘घोर असंतोष और कड़ा विरोध’ व्यक्त किया. यह प्रतिवाद भारत-चीन सीमा पर स्थित राज्य जिसे चीन ‘विवादित क्षेत्र’ कहता है वहां की यात्रा भारतीय नेता द्वारा किए जाने पर व्यक्त किया गया है.
उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री मोदी राज्य के 23वें स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश गए थे.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुंयिंग ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, “तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को चीन सरकार ने कभी मान्यता नहीं दी.”
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, राजदूत कंठ के साथ मुलाकात के दौरान विदेश उपमंत्री लिऊ ने उल्लेख किया कि भारतीय पक्ष द्वारा इस तरह की गतिविधि से ‘चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता, अधिकार और हितों की उपेक्षा’ हुई है.
उन्होंने कहा कि भारत की ओर से इस गतिविधि से दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दे पर कृत्रिम रूप से मतभेद बढ़ता है और दोनों पक्ष मुद्दों के जिन सिद्धांतों और सामंजस्य से उचित समाधान करने पर पहुंचे हैं उसके खिलाफ जाता है.
लिऊ ने चीन के ‘भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अटल और सुस्पष्ट पक्ष’ को दोहराते हुए कहा कि चीन की सरकार ने ‘भारत द्वारा एक तरफा तौर पर स्थापित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी.’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीन ने भारत के साथ बढ़ते संबंधों को महत्व दिया है. उन्होंने कहा कि एक पड़ोसी के रूप में और दुनिया में विकास के लिहाज से अग्रणी माने जा रहे दोनों देश विभिन्न स्तरों पर सहयोग की विस्तृत संभावना रखते हैं.
लिऊ ने उम्मीद जताई कि भारतीय पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर ज्यादा ध्यान देगा और समान लक्ष्य की तरफ चीन के साथ आगे बढ़ेगा और सीमा मुद्दे पर महत्वपूर्ण सामंजस्य से लैस रहेगा.