भारत सुनिश्चित करेगा समानता
पेरिस | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को में कहा कि भारत सभी नागरिकों की समानता सुनिश्चित करेगा. नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी नागरिकों की आस्था, संस्कृति और धर्म को समाज में समान दर्जा मिले. यहां यूनेस्को के मुख्यालय में दिए अपने संबोधन में मोदी ने कहा, “हमें अपनी प्रगति का मूल्यांकन केवल आंकड़ों में वृद्धि से नहीं, बल्कि लोगों के चेहरे पर खुशी और विश्वास की चमक से किया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “मेरे लिए इसके कई मायने हैं. हम प्रत्येक नागरिक के अधिकार व स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक नागरिक की आस्था, संस्कृति तथा धर्म को समाज में समान दर्जा मिले. उसके लिए भविष्य में आस्था हो और आगे बढ़ने का विश्वास हो.”
उन्होंने कहा, “हमारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम सरकार को सहभागी, पारदर्शी तथा उत्तरदायी बनाएगा.”
मोदी ने कहा कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें न केवल नीतियों और संसांधनों की आवश्यकता है, बल्कि इससे ज्यादा विज्ञान की शक्ति की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे लिए विज्ञान के माध्यम से मानव विकास के बड़े उद्देश्य की दिशा में काम करना है और देश में सुरक्षित, सतत, समृद्ध भविष्य विकसित करना है.
उन्होंने कहा, “विज्ञान सीमाओं के पार एक साझा उद्देश्य से लोगों को जोड़ता है.”
मोदी ने कहा, “भारत अपने प्रारंभिक वर्षो में मिली सहायता को कभी नहीं भूलता, आज हम अन्य देशों के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “इसलिए भारत के अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम में विज्ञान की बड़ी प्राथमिकता है.”
विश्व की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में यूनेस्को की पहल की उन्होंने प्रशंसा की.
उन्होंने कहा, “भारत सहित विश्व की सांस्कृतिक विरासत के सरंक्षण की यूनेस्को की पहल प्रेरणादायक है.”
मोदी ने कहा, “हम भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत में मानवता की दौलत देखते हैं. और हम इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने का हर प्रयास करते हैं.”
नगरों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए उन्होंने अपनी सरकार की हृदय योजना का हवाला दिया. साथ ही उन्होंने देश में तीर्थ स्थानों के पुनरुत्थान के लिए तीर्थ स्थल पुनरुथान और आध्यात्मिकता बढ़ाने का अभियान प्रसाद की भी चर्चा की.
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हम न केवल अपने दावे पर संघर्ष करते हैं, लेकिन इसके लिए भी संघर्ष करते हैं कि हम कौन हैं? और विश्व के कई भागों में संस्कृति टकराव का स्रोत बनी हुई है.”
पश्चिमी अफ्रीका को प्रभावित करने वाली बीमारी इबोला का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “जब समूचे क्षेत्र के लिए किसी बीमारी का खतरा होता है, तो हम समझते हैं कि हम कितने कमजोर हो गए हैं.”
जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने लोगों से सामूहिक रूप से कार्य करने का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, “उदाहरण के तौर पर हमने अगले सात वर्ष में 1 लाख 75 हजार स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का अतरिक्त उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.”
उन्होंने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किए जाने का भी हवाला दिया.
योग से स्वयं, समाज और प्रकृति में खुलेपन और सद्भाव की भावना जागृत होती है. हमारी जीवनशैली में परिवर्तन से और सजगता विकसित होने से हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने और अधिक संतुलित विश्व विकसित करने में मदद मिल सकती है.