राष्ट्र

लोग मास्टर शेफ़ दामाद ढूंढेंगे

नई दिल्ली | संवाददाता: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्किल इंडिया का लोगो और डॉक्‍यूमेंट जारी कर दिया है. बुधवार को विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्‍होंने जमीनी स्तर पर कुशल मानव शक्ति के निर्माण के लिए ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ यानी स्‍किल इंडिया कैंपेन की शुरुआत की. इस योजना के तहत युवाओं को व्यवसायिक, तकनीकी एवं कौशल विकास शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी.

इस योजना के तहत वर्ष 2022 तक 50 करोड़ लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है. केंद्र सरकार ने इस मिशन के लिए 5,040 करोड़ रुपए का बजट रखा है. इस मिशन के तहत अगले साल तक 24 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने और फिर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिए आर्धिक मदद देने का प्रावधान भी किया गया है.

राष्ट्रीय कौशल विकास अभियान के तहत शुरू किया जा रहा यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम अगले साल तक 24 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देगा और प्रशिक्षित उम्मीदवारों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. यह कार्यक्रम कुशल युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि पेशेवर प्रशिक्षण हासिल करने के बाद वे आत्म निर्भर बन सकते हैं.

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा यह मिशन उन लोगों के लिए है जो पिछे रह जाते हैं और यह लोग अमीर परिवारों के बच्‍चे नहीं होते जिन्‍हें परंपरा से कुछ न कुछ मिल जाता है बल्कि गरीब परिवारों के बच्‍चे होते हैं. हमने गरीबी के खिलाफ सामरिक जंग छेड़ी है और हर गरीब मेरा सैनिक है, हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई उनकी ही ताकत से जीतेगें.

उनकी महत्‍वकांक्ष बंगला या महंगी कार खरीदने की नहीं होती बल्कि वे चाहते हैं कि उनके बच्‍चे आत्‍मनिर्भर बन जाएं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें नवयुवकों को रोजगार देना प्राथमिकता है. स्किल डेवलपमेंट से देश में नई उर्जा लाने की कोशिश करेंगे और दुनिया को सबसे ज्‍यादा वर्क फोर्स देंगे और इसके लिए हमें आने वाले दस सालों के हिसाब से पाठयक्रम तैयार करना होगा.

दुनिया भारत को आदर की नजर से देख रहीं है, हमारे आईआईटी को सम्‍मान की नजर से देखते हैं और हमें उस पर गर्व है लेकिन यह सदी आईटीआई की होगी क्‍योंकि देश को इसकी जरूरत है. लोगों में मल्टिपल स्किल डेवलप करना है. हमें मानव संसाधन की फैक्‍ट्री बनानी है.

विभाग के मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी का कहना था कि इस मिशन को कामयाब तब ही माना जाएगा जब भारत को ऐसे हुनरमंद कारीगरों के लिए दुनिया में माना जाएगा. उनका कहना था, “यह कामयाबी तब ही होगी जब लोग सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर ही दामाद और बहु के रूप में ना ढूंढें बल्कि वो मास्टर शेफ़ या मास्टर ब्यूटीशियन भी ढूंढें.”

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