राहुल गांधी की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
नई दिल्ली | डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी की सज़ा पर रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि ट्रायल जज ने बिना पर्याप्त कारणों और आधार के दो साल की अधिकतम सजा सुनाई है.
हालांकि कोर्ट ने राहुल गांधी को कथित टिप्पणी करते समय सावधान रहने के लिए भी कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केसी कौशिक ने कहा कि कोर्ट ने यह कहा है कि यह किसी एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि जिन लोगों ने राहुल गांधी को संसद में पहुंचाया है उनके अधिकारों का हनन है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.”
अदालत ने कहा कि मानहानि के इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सज़ा सुनाने के लिए वादी की दलीलों के अलावा और कोई वजह नहीं बताई.
कोर्ट ने कहा कि ये ध्यान देने वाली बात है इस दो साल की सज़ा के कारण ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के प्रावधान लागू हुए और याचिकाकर्ता की सदस्यता रद्द हुई. अगर एक दिन भी ये सज़ा कम होती ये नियम लागू नहीं होता.
अदालत ने कहा कि ख़ासकर ऐसे मामलों में जब अपराध नॉन कम्पाउंडेबल हो, ज़मानती हो और संज्ञेय हो तो अधिकतम सज़ा देने के लिए ट्रायल जज से कारण बताने की उम्मीद की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि हाई कोर्ट ने अपील खारिज करने की वजह बताने में काफी पन्ने खर्च किए लेकिन इन पहलुओं पर गौर किया गया हो, ऐसा लगता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा- यह नफरत के ख़िलाफ मोहब्बत की जीत है, सत्यमेव जयते.
प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है- “गौतम बुद्ध ने बताया है कि तीन चीज़ें सूर्य, चंद्रमा, और सत्य को ज़्यादा दिनों तक छिपाए नहीं रखा जा सकता. माननीय उच्चतम न्यायालय को न्यायपूर्ण फैसला देने के लिए धन्यवाद. सत्यमेव जयते”
गौरतलब है कि 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक रैली के दौरान कहा था कि सारे चोरों के नाम में मोदी कॉमन है.
राहुल गांधी नीरव मोदी, ललित मोदी का नाम लेकर पीएम मोदी पर तंज कस रहे थे.
इस टिप्पणी के ख़िलाफ़ गुजरात के बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी की शिकायत के बाद सूरत की एक अदालत ने इसी साल मार्च में राहुल गांधी को दो साल की सज़ा सुनाई थी.
जिसके बाद प्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला देते हुए लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी. इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने भी सूरत की अदालत के फ़ैसले को बरकरार रखा.