असल लाल किले पर टिकी निगाहें
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: 15 अगस्त को असल लाल किले से मोदी देश को संबोधित करेंगे. उल्लेखनीय है कि 2013 में छत्तीसगढ़ सरकार के विकास यात्रा के समापन के अवसर पर नरेन्द्र मोदी ने अंबिकापुर में लाल किलेनुमा मंच से छत्तीसगढ़ की जनता को संबोधित किया था. उस समय नरेन्द्र मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा रहा था. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में उन्होंने नकली लाल किले से अपना भाषण दिया था.
उस घटना को अभी साल भर भी नहीं हुए हैं कि वहीं नरेन्द्र मोदी असल लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को देश को संबोधित करेंगे. इसी के साथ ही मोदी के प्रधानमंत्री बने 60 दिन से ऊपर हो चुके हैं. इस दौरान उनके खाते में पड़ोसी देश भूटान तथा नेपाल की सफल यात्रा शामिल है. प्रधानमंत्री मोदी के विदेश नीति की असल परीक्षा तो सितंबर में उनकी अमरीका यात्रा के दौरान होगी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में विश्व व्यापार संगठन में भारत द्वारा अपनाए गए सख्त रुख को शनिवार को उचित ठहराया और कहा कि सरकार ने देश के गरीबों की हिफाजत के लिए यह निर्णय लिया. मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद को यहां संबोधित करते हुए कहा, “हमें क्या करना चाहिए? हमें अपने किसानों का हित देखना चाहिए या अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में अच्छी सुर्खी बटोरनी चाहिए? हमने देश के गरीबों के हित को चुना.”
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह भारत ने डब्ल्यूटीओ के व्यापार सुविधा समझौते, टीएफए का अनुमोदन करने से इंकार कर दिया, जिसे विकसित देशों का समर्थन प्राप्त था. प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका यात्रा के समय इस मुद्दे को अमरीका उठा सकता है ऐसा माना जा रहा है. अमरीकी राष्ट्रपति के सामने अमरीकी नीतियों का यदि प्रधानमंत्री मोदी विरोध कर पाये तभी उनकी विदेश नीति को जन आकांक्षाओं के अनुरूप माना जायेगा.
दूसरी तरफ, घरेलू मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह के आर्थिक नीतियों को ही जारी रखा है. रेल के किराये में बढ़ोतरी की गई जिसे ऐन चुनाव के पहले मनमोहन सरकार न कर सकी थी. मोदी सरकार ने रक्षा के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिये 49 फीसदी तथा रेलवे के अधो संरचना के क्षेत्र में 100 फीसदी की अनुमति दे दी है. ये ऐसे कदम हैं जिन्हें मनमोहन सरकार नहीं उठा पाई थी परन्तु मोदी सरकार ने उसे कर दिखाया है.
देश के एक बड़े वर्ग का मानना है कि रक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति देने का अर्थ देश की सुरक्षा के लिये खतरा हो सकता है क्योंकि इससे रक्षा उत्पादन करने वाली कंपनियों में विकसित देशों की हिस्सेदारी बढ़ जायेगी जिनके खिलाफ हमें कई बार फैसले लेने पड़ते हैं. इसके अलावा मोदी सरकार के वित्त मंत्री ने अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की सरकार के समान ही नैगम घरानों को 5 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा की टैक्सों में छूट दी है.
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नारा दिया था “बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार” तथा “सबका साथ, सबका विकास”. मोदी सरकार तो बन गई है परन्तु महंगाई है कि कम होने के बजाये बढ़ती ही जा रही है. मोदी सरकार ने महंगाई को कम करने के लिये जमाखोरी पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश की है उसके बावजूद बाजार में चीजें महंगी ही होती जा रही है. महंगाई के रहते विकास की कल्पना कम से कम जनता तो नही कर सकती है क्योंकि उसका वेतन उस अंदाज में नही बढ रहा है.
भारत की परंपरा है कि हर 15 अगस्त को देश का प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से जनता को संबोधित करता है. जिसमें उसके नीतियों, किये गये काम, भविष्य की योजनाओं की झलक मिलती है. देश के इतिहास में पहली बार पूर्ण बहुमत से आई कोई गैर कांग्रेसी सरकार का प्रधानमंत्री 15 अगस्त को देश की जनता को संबोधित करेगा. जाहिर सी बात है कि लोगों की नजर उस क्षण का इंतजार कर रही है जिसमें शायद उनके दुश्वारियों को हल करने का कोई घोषणा हो जाये.