राष्ट्र

देश के लिये मोदी की योजना दूसरी

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: नेहरू कालीन योजना आयोग के स्थान पर नये संस्थान का गठन किया जायेगा. इस बात की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश के नागरियों को संबोधित करते हुए दी. माना जा रहा है कि नई संस्था एक थिंक टैंक होगी. नेहरु के प्रधानमंत्री रहते योजना आयोग की नींव डाली गई थी. कुछ विशेषज्ञ इसे सोवियत संघ के अवषेश का एक रूप में मानते हैं. देश के 68वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “बहुत जल्द हम एक नए संस्थान का गठन करेंगे, जो योजना आयोग की जगह काम करेगा.”

भारतीय उद्योग संघों ने प्रधानमंत्री मोदी के इस घोषणा का स्वागत किया है. भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा, “नए भारत का निर्माण करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी, संसाधन का अधिकतम दोहन और राज्यों को अधिक शक्ति दिए जाने के साथ रचनात्मक सोच की जरूरत है.” वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इस घोषणा की आलोचना की. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा, “यह शक्ति को किसी एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रित करने की कोशिश लगती है.”

अधिकारियों के अनुसार, मोदी के मन में आयोग के लिए कभी ज्यादा सम्मान नहीं रहा और वह इसे नियंत्रित अर्थव्यवस्था का अवशेष मानते हैं, जो भारत ने सोवियत काल का अनुकरण कर अपनाया है.

खुद योजना आयोग द्वारा संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सहायक महासचिव और स्टैनफोर्ड शिक्षित अजय छिबर की अध्यक्षता में गठित स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय ने आयोग को गैर जरूरी बताया है.

इस कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, “यह साफ है कि अपने मौजूदा रूप और कार्यप्रणाली में योजना आयोग देश के विकास में बाधक है, सहयोगी नहीं है.”

इस रिपोर्ट ने काफी विवाद पैदा किया था. संयोगवश यह रिपोर्ट मोदी के शपथ ग्रहण करने के तीन दिन बाद 29 मई को पेश की गई थी.

इसके मुताबिक, “इतने व्यापक संस्था में सुधार आसान नहीं. इसके लिए इसे किसी अन्य संस्था के रूप में बदलने की जरूरत है, जो राज्यों को सुधार संबंधी सलाह दे सके.”

योजना आयोग
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने योजना आयोग के अंतर्गत पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की थी. इसकी प्रेरणा उन्हें सोवियत संघ के योजनाबद्ध विकास से मिली थी. भारत सरकार के प्रस्ताव के तहत 15 मार्च 1950 को गठित आयोग ने 1951 से पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की थी.

मौजूदा समय में 2012-17 समयावधि के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना प्रभावी है. नेहरू इसके पहले अध्यक्ष और गुलजारी लाल नंदा उपाध्यक्ष थे. वी.टी.कृष्णामचारी, चिंतामन देशमुख, जी.एल.मेहता और आर.के.पाटिल इसके सदस्य थे.

प्रधानमंत्री मोदी के लाल किले के प्राचीर से किये गये घोषणा से तय माना जा रहा है कि मोदी सरकार देश का विकास नेहरु कालीन योजनाओं से दिगर ढ़ंग से करना चाहती है. गौरतलब है कि मोदी ने लोकसभा का चुनाव विकास के नारे पर ही जीता है. ऐसे में देश को नई योजनाओं की जरूरत है. प्रधानमंत्री मोदी के घोषणा से जाहिर है कि देश का विकास एक अलग तरह के योजना का माध्यम से किया जायेगा. इस कारण से योजना आयोग के स्वरूप में परिवर्तन से लेकर उसके शक्तियों में भी बदलाव किया जा सकता है.

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