मोदी-ओबामा मीटिंग: कौन फायदे में
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: मोदी-ओबामा बैठक के नतीजों पर दुनियाभर की नजर टिकी रहती हैं. भारत के प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को एक बार फिर लाओस में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले. पिछले दो सालों में यह दोनों नेताओं के बीच 8वीं मुलाकात थी. जब भी मोदी-ओबामा मिलते हैं तो बड़े ही गर्मजोशी से मिलते हैं. दोनों नेताओँ के बीच कूटनीति, व्यापार तथा आपसी संबंधों पर बात होती है. चूंकि प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका ही नहीं सभी विदेशी दौरों का जोर-शोर से प्रचार किया जाता है इसलिये एकबारगी इनके नतीजों पर गौर कर लें.
पिछले दो सालों में भारत, अमरीका का क्षेत्र में रणनीतिक सहयोगी के तौर पर उभरा है. हाल ही में अमरीका में भारत के साथ रक्षा सहयोग का समझौता हुआ है. जिससे भारत से ज्यादा राजनीति लाभ अमरीका को होगा क्योंकि उसे दक्षिण सागर में (पढ़े वहां के तेल पर) चीन द्वारा दावा पेश किये जाने के बाद एक भरोसेमंद साथी की जरूरत थी. जाहिर है कि चीन के खिलाफ भारत के साथ के लिये अमरीका, अपने पुराने साथी पाकिस्तान को ठेंगा दिखा सकता है.
वहीं, भारत को भी सोवियत संघ के टूटने तथा दुनिया के एक ध्रुवीय बन जाने के बाद अपने पुराने प्रतिद्वंदी चीन तथा पाकिस्तान के खिलाफ एक विश्वस्त साथी की जरूरत थी.
मोदी-ओबामा की बैठकें-
30 सितंबर 2014
मोदी-ओबामा की पहली मुलाकात 30 सितंबर 2014 को व्हाइट हाउस में हुई थी. ओवल ऑफिस में मीटिंग के दौरान दोनों नेताओं के बीच जलवायु परिवर्तन से लेकर आतंकवाद खासकर आईएसआईएस के खतरे सहित तमाम मुद्दों पर बात हुई. लेकिन ट्रेड और बिजनेस के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये गये और नहीं किसी बड़े समझौते का ऐलान किया गया.
25 से 27 जनवरी 2015
अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा 25 से 27 जनवरी 2015 तक भारत दौरे पर थे. दोनों देशों के बीच आतंकवाद पर बातचीत हुई. परमाणु करार के अमल पर सहमति बनी. 3 स्मार्ट सिटी पर करार हुआ. रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर भी बातचीत हुई.
28 सितंबर 2015
संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री मोदी 5 दिनों के अमरीका दौरे पर पहुंचे. इस बैठक में जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा. मोदी ने भारत की APEC की सदस्यता के लिए अमरीकी राष्ट्रपति से मदद मांगी. ओबामा और मोदी के बीच व्यापार और निवेश के मसले पर भी बात हुई.
30 नवंबर 2015
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस में हुए शिखर सम्मेलन के पहले दिन यानी 30 नवंबर 2015 को मोदी-ओबामा के बीच मुलाकात हुई. मीटिंग के दौरान मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करेगा. उन्होंने द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को गहरा करने के उपायों के साथ यहां जलवायु एजेंडे पर विचार विमर्श किया.
मार्च-अप्रैल 2016
प्रधानमंत्री मोदी न्यूक्लियर सिक्योरिटी समिट में हिस्सा लेने मार्च-अप्रैल 2016 में वॉशिंगटन दौरे पर थे. उस वक्त 31 मार्च को दोनों नेताओं के बीच व्हाइट हाउस में डिनर पर मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं ने आतंकवाद और न्यूक्लियर सिक्योरिटी के मसले पर बात की.
8 जून 2016
पांच देशों के दौरे पर निकले प्रधानमंत्री मोदी 8 जून 2016 को व्हाइट हाउस में ओबामा से मिले. मोदी ने ओबामा से आतंकवाद के मसले पर बात की. इसमें जलवायु परिवर्तन के अलावा दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और साइबर सिक्योरिटी के मसले पर आपसी तालमेल को लेकर भी बातचीत हुई. मोदी और ओबामा के बीच भारत की एमटीसीआर में एंट्री और एनएसजी की सदस्यता पर भी बात हुई.
4 सितंबर 2016
बीते रविवार यानी 4 सितंबर 2016 को चीन के हांगझोऊ में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर मोदी और ओबामा की मुलाकात हुई थी. इस दौरान ओबामा ने भारत में जीएसटी कानून पारित करने पर मोदी की तारीफ की. उन्होंने इसे कठिन वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में ‘साहसी नीति’ करार दिया.
8 सितंबर 2016
प्रधानमंत्री मोदी की ओबामा से गुरुवार को लाओस में मुलाकात हुई. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. इस मीटिंग में भी ओबामा ने जीएसटी पर मोदी सरकार के फैसले की सराहना की.
भारत-अमरीका व्यापार-
भारत से अमरीका को 97 वस्तुयें निर्यात की जाती हैं. जो साल 2013-2014 में 19,05,01,108.86 लाख रुपयों का 2014-2015 में
18,96,34,841.76 लाख रुपयों का (-0.45%) तथा साल 2015-2016 में 17,16,37,804.58 लाख रुपयों का 9-9.49%) का रहा.
इसी तरह से अमरीका से भारत में 97 वस्तुओँ के आयात के आकड़ों को देखें तो यह साल 2013-2014 में 27,15,43,390.73 लाख रुपयों का रहा, साल 2014-2015 में 27,37,08,657.82 लाख रुपयों का (+0.80) का रहा तथा साल 2015-2016 में 24,90,29,808.11 लाख रुपयों का (-9.02) का रहा.
आकड़ों से जाहिर है कि भारत से जितने मूल्य के वस्तुयें निर्यात नहीं की जाती हैं उससे कहीं ज्यादा की वस्तुओं का आयात किया जाता है. इस तरह से भारत इस मामले में घाटे का सौदागर है. लेकिन साल 2015-2016 में अमरीका से भारत में होने वाले आयात में -9.02 फीसदी की कमी आई है जोकि भारत के पक्ष में जाता है.