मध्य-एशिया यात्रा: ऊर्जा अहम मुद्दा
नई दिल्ली | एजेंसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह पांच मध्य एशियाई देशों- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान व उज्बेकिस्तान की यात्रा करने वाले हैं. इस देशों से वार्ता के दौरान ऊर्जा सुरक्षा अहम मुद्दा रहेगा.
6 से 13 जुलाई तक की इस यात्रा के दौरान मोदी रूस के ऊफा में ब्रिक्स और एससीओ शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, आतंकवाद से निपटना भी वार्ता का एक महत्वपूर्ण बिंदु रहेगा.
इन पांच देशों के लिए भारत से संबंध मजबूत करने का मतलब रूस और चीन के सामने अपनी स्थिति मजबूत करना है.
7-8 जुलाई को कजाकिस्तान में मोदी मुख्यत: ऊर्जा सहयोग और यूरेनियम खनन पर बात करेंगे. इस दौरान देश के सत्पायेव ब्लॉक में तेल के लिए पहली बार ड्रीलिंग होगी. भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने 2011 में इस ब्लॉक में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी.
दोनों देश कजाकिस्तान में संयुक्त तौर पर यूरेनियम उत्खनन और खनन के लिए एक समझौता करेंगे. कजाकिस्तान में यूरेनियम का दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है. देश के 15 हजार किलोमीटर लंबे रेलमार्ग के विस्तार के लिए सहयोग पर भी वार्ता हो सकती है.
उज्बेकिस्तान में वार्ता मुख्यत: आपसी व्यापार बढ़ाने और संयुक्त उपक्रम स्थापित करने पर केंद्रित रह सकती है.
मोदी 10-11 जुलाई को तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में रहेंगे, जहां 10 अरब डॉलर की तापी गैस पाइपलाइन परियोजना वार्ता के केंद्र में रहेगी.
तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना से तुर्कमेनिस्तान के दौलताबाद और गाल्किनिश गैस फील्ड से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति पाकिस्तान और भारत को करने की योजना है.
तुर्कमेनिस्तान के नई दिल्ली में राजदूत पराखत एच दुर्दयेव के मुताबिक यह परियोजना दिसंबर में शुरू हो सकती है.
दोनों देशों में ऊर्वरक क्षेत्र में भी सहयोग पर बात हो सकती है.
दुर्दयेव ने कहा कि भारत तुर्कमेनिस्तान में एक यूरिया संयंत्र लगाने वाला है. बाद में एक पोटाश संयंत्र भी लगाया जाएगा.
तजाकिस्तान और किर्गिस्तान दोनों भारत को सीएएसए-1000 परियोजना से जोड़ना चाहते हैं. इस परियोजना में दोनों देशों में पनबिजली क्षेत्र में मौजूद व्यापक संभावना का दोहन किया जाएगा.
दोनों देश उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे में भी विशेष रुचि रखते हैं. दोनों देश इस गलियारा परियोजना का हिस्सा हैं. इसके तहत मुंबई को जल मार्ग से ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह होते हुए रूस के सेंट पीट्सबर्ग से जोड़ा जाएगा.
कजाकिस्तान भी इस गलियारा परियोजना का सदस्य है.
पांचों देश भारत द्वारा ईरान के चाबहार बंदरगाह का तेजी से आधुनिकीकरण में दिलचस्पी ले रहे हैं, क्योंकि इससे क्षेत्र का वैश्विक संपर्क बढ़ेगा.
इंडियन टेक्निकल एंड इकनॉमिक कॉपरेशन कार्यक्रम की भी पांचों मध्य एशियाई देशों में मांग है. इस कार्यक्रम के तहत भारत दूसरे देशों में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है.