राष्ट्र

बदलाव लाने भारत-अफ्रीका एकजुट हो

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ढाई अरब भारतीयों तथा अफ्रीकियों की धड़कन एक है. उन्होंने भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में कहा कि दोनों को संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के लिये एकजुट हो जाना चाहिये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत अफ्रीका को सस्ती दवायें देता रहेगा.

उन्होंने 54 देशों वाले अफ्रीकी महाद्वीप के लिए 10 अरब डालर का सस्ता कर्ज मुहैया कराने का भी ऐलान किया. मोदी ने भारत की तरफ से 60 करोड़ की अनुदान सहायता की भी पेशकश की जिसमें 10 करोड़ डालर का भारत-अफ्रीका विकास कोष और एक करोड़ डालर का भारत-अफ्रीका स्वास्थ्य कोष भी शामिल है.

मोदी ने शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन विभिन्न अफ्रीकी देशों के प्रमुखों को अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार की जरूरत पर बल दिया.

उन्होंने कहा, “दुनिया राजनीतिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकी एवं सुरक्षा संदर्भो में तेजी से आगे बढ़ रही है. इन हालात में भी वैश्विक संस्था सदी की उन परिस्थतियों को दर्शाती है, जिन्हें हमने पीछे छोड़ दिया है; न कि उस परिस्थिति को जिसमें आज हम हैं.”

उन्होंने कहा, “यह स्वतंत्र देशों और जागृत आकांक्षाओं का संसार है. अगर संयुक्त राष्ट्र के एक चौथाई से भी ज्यादा सदस्यों वाले अफ्रीका या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, जहां दुनिया की कुल आबादी का छठा हिस्सा बसता है तो वे सही मायने में हमारी दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते.”

प्रधानमंत्री ने कहा, “इसलिए भारत और अफ्रीका को सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र में अन्य सुधारों के लिए भी एकजुट होना चाहिए.”

मोदी ने कहा, “1.25 अरब भारतीयों और 1.25 अरब अफ्रीकियों के दिलों की धड़कन एक है. यह सिर्फ भारत और अफ्रीका की मुलाकात नहीं है. आज एक-तिहाई मानवजाति के सपने एक छत के नीचे इकट्ठा हुए हैं.”

मोदी ने कहा, “हम काहिरा से केपटाउन और मराकश से मोम्बासा तक पूरे अफ्रीका को एक-दूसरे से जोड़ने में मदद देंगे. हम आपके आधारभूत ढांचे, बिजली, सिंचाई के विकास में पूरा समर्थन करेंगे. औद्योगिक और प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्थापना में मदद करेंगे.”

मोदी ने कहा कि सबसे अच्छी भागीदारी वही होती है जो मानव संसाधन और संस्थाओं को विकसित करे और जो किसी भी देश को अपनी पसंद को चुनने का हक दे.

मोदी ने कहा, “इससे युवाओं के लिए अवसरों का द्वार खुलता है. जीवन के हर क्षेत्र में मानव संसाधन का विकास हमारी भागीदारी का दिल है. हम अपने दरवाजे और खोलेंगे.”

मोदी ने कहा कि भारत और अफ्रीका के बीच साझेदारी में तकनीक एक महत्वपूर्ण तत्व है. इसकी मदद से सुशासन, आपदा प्रबंधन, संसाधन प्रबंधन और बेहतर जीवन को हासिल किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा और सस्ती दवाओं के मामले में भारत अपने ज्ञान को अफ्रीका के साथ बांटेगा.

मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए भी अफ्रीकी देशों के सहयोग का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, “हम में से प्रत्येक राष्ट्र अपने संसाधनों के साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं. भारत के लिए 2022 तक 175 गीगावाट की अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 2030 तक 33-35 प्रतिशत तक उत्सर्जन में कटौती हमारे प्रयासों के सिर्फ दो पहलू ही हैं.”

उन्होंने कहा, “लेकिन यह भी सच है कि इसमें से कुछ में अधिकता होने से सब पर बोझ नहीं पड़ेगा. इसलिए जब दिसंबर में दुनियाभर के देश पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इकट्ठा होंगे तो हमें इससे निपटने के लिए व्यापक एवं सटीक नतीजे निकालने होंगे, जो जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के स्थापित सिद्धांतों पर आधारित हों.”

अफ्रीका में आतंकवादी घटनाओं में निर्दोष लोगों की मौत पर गहरी संवेदना जताते हुए प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी देशों के साथ समुद्री सुरक्षा व आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया.

मोदी ने कहा, “हम यह भी महसूस करते हैं कि जब हमारे महासागर व्यापार के लिए सुरक्षित नहीं रह जाते, तो इसका खामियाजा हम सबको उठाना पड़ता है. हम जानते हैं कि हमारा साइबर नेटवर्क व्यापक मौके लाता है, लेकिन साथ में यह जोखिम भी पैदा करता है. जब सुरक्षा की बात आती है, तो दूरी हमें अलग नहीं कर सकती.”

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