राष्ट्र

संसद में किये आधे वादे भूल गई सरकार

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: मोदी सरकार संसद में दिये आधे वादे भूल गई है. लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति की माने तो मोदी सरकार ने लोकसभा में किये वादों में से महज 51.14 फीसदी को ही पूरा किया है. 16वीं लोकसभा में सरकार के मंत्रियों के द्वारा कुल 3039 वादें सांसदों से किये गये हैं जिनमें से 1582 वादें ही पूरे किये गये हैं. इनमें से 1380 वादे अर्थात् 44.61 फीसदी पर अमल ही नहीं किया गया, 57 वादों अर्थात् 1.8 फीसदी को बाद में ड्राप कर दिया गया, 77 वादें अर्थात् 2.48 फीसदी का कुछ हिस्सा पूरा किया गया है.

यहां तक की पीएमओ द्वारा किया गया 1 वादा भी पूरा नहीं किया गया है. इसे बाद में ड्राप कर दिया गया है. 16वीं लोकसभा में सीपीएम के पश्चिम बंगाल के सांसद मोहम्मद बी खान ने 6 अगस्त 2014 को पीएमओ से विभिन्न मंत्रालयों के प्रदर्शन की निगरानी करने के लिये ‘प्रदर्शन एवं मूल्यांकन प्रणाली’ पर सवाल पूछा था. वैसे 15वीं लोकसभा में भी पीएमओ से 1 सवाल पूछा गया था जिसे एनडीए की सरकार आने के बाद 21 जुलाई 2015 को ड्राप कर दिया गया था.

सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों का वादों के बारें में रिपोर्ट कार्ड:

* रक्षा मंत्रालय- 110 वादों में से 49 अब तक अपूर्ण.
* वित्त मंत्रालय- 146 वादों में से 41 अपूर्ण.
* गृह मंत्रालय- 193 वादों में से 93 अपूर्ण.
* विदेश मंत्रालय- 16 वादों में से 7 अपूर्ण.
* रेल मंत्रालय- 152 वादों में से 63 अपूर्ण.

गौरतलब है कि एक-एक वादा पूरा करने का जिम्मा संबंधित मंत्रालय की लंबी-चौड़ी फौज के साथ-साथ लोकसभा में 15 सदस्यों की स्थायी समिति का भी है. फिर भी सैकड़ों वादे अधूरे हैं.

संसद में किसी सवाल के जवाब में अक्सर मंत्री बाद में जानकारी देने का आश्वासन देते हैं. किसी चर्चा में उठाये गए मुद‌्दे पर विचार करने का आश्वासन भी खूब दिया जाता है. इनमें कई मुद्दे विकास से जुड़े होते हैं.

व्यक्तिगत आश्वासनों को छोड़कर अन्य वादे पूरे करवाना संबद्ध मंत्रालयों या विभागों की जिम्मेदारी होती है. हर वादे को आगे बढ़ाने के साथ ही मंत्रालय को सुनिश्चित करना होता है कि सुझाव की तारीख से वादा तीन महीने में पूरा हो जाये.

संसदीय मामलों का मंत्रालय समय-समय पर लंबित आश्वासनों की समीक्षा करता है. इसके अलावा, अधूरे सरकारी आश्वासनों के अमल में तेजी लाने के लिये भी लोकसभा में 15 सदस्यों की स्थायी समिति होती है. यह समिति मंत्रालयों के अधिकारियों को तलब भी कर सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!