राष्ट्र

मोदी सरकार बनाम एकजुट विपक्ष

नई दिल्ली | एजेंसी: मोदी सरकार ने एक साल के अंदर पूरे विपक्ष को अपने खिलाफ गोलबंद कर लिया है. भूमि अधिग्रहण विधेयक इसका ताजा उदाहरण है. मोदी सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने वाला है, और विपक्ष के तेवर भी तल्ख होते जा रहे हैं. हाल के महीनों में, भूमि अधिग्रहण विधेयक सरकार पर ही उल्टा पड़ा है.

2014 के आम चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की भारी जीत और संप्रग की करारी हार के बाद विपक्ष पूरी तरह निष्क्रिय हो गया था. हालांकि, विपक्ष तेजी से निष्क्रियता से बाहर निकला और बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई. कांग्रेस और जनता परिवार सहित अधिकांश प्रमुख विपक्षी दलों ने स्वयं को दोबारा स्थापित किया.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, “विपक्ष सिर्फ संसद में ही नहीं, बल्कि राज्य विधानसभाओं में भी अपनी कार्रवाइयों को समन्वित कर रहा है.”

उन्होंने, हालांकि पूरे विपक्ष की एकजुटता का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया.

शुक्ला ने कहा, “मोदी सत्ता के पहले वर्ष में ही बहुत अलोकप्रिय हो गए हैं. उन्होंने बहुत वादे किए थे, लेकिन वह उन्हें पूरा नहीं कर पाए. उन्होंने वास्तविकताओं को समझे बिना बड़े-बड़े वादे किए. मोदी, मनमोहन सिंह की नीतियों का ही अनुसरण कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार से किसान खुश नहीं हैं और चंद उद्योगपतियों को छोड़कर बाकी उद्योगपति भी निराश हैं.

सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ पहली बार विपक्ष की एकजुटता नजर आई. इसके खिलाफ विपक्ष ने एकजुट होकर संसद के भीतर और बाहर आवाज उठाई. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस विधेयक के खिलाफ रैली का नेतृत्व किया.

माकपा पोलित ब्यूरो में नए-नए शामिल हुए मोहम्मद सलीम हालांकि इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि मोदी की शानदार जीत का विपक्ष की एकजुटता से कुछ लेना-देना है.

सलीम ने कहा, “हम पिछले 30 सलों से धर्मनिरपेक्ष आदर्शो के आधार पर एकसाथ आने की कोशिश कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “विपक्ष का जमीनी प्रबंधन राजग से बेहतर है. सरकार कई मुद्दों पर बचाव की स्थिति में है और भूमि अधिग्रहण विधेयक इसमें से एक है.”

समाजवादी विचारधारा से जुड़े छह राजनीतिक दलों ने समाजावादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में दलों का विलय कर कोई एक पार्टी बनाने की घोषणा की.

इन छह दलों में समाजवादी पार्टी, जदयू, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (सेक्युलर), इंडियन नेशनल लोकदल और राष्ट्रीय लोकदल हैं. ऐसी संभावना है कि इस साल के अंत तक होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ये दल एक साथ आ सकते हैं.

जदयू नेता के.सी.त्यागी ने कहा, “जनता परिवार के सभी दलों के एकसाथ आने की प्रक्रिया को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा.”

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