मोदी सरकार: पुरानी योजना, ऩये नाम
नई दिल्ली | एजेंसी: कृषि मंत्रालय का दावा है कि मोदी सरकार के एक वर्ष के काल में उसने कई नई योजनाएं शुरू की है. इनमें शामिल हैं नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीवाइई).
तहकीकात करने पर पता चला कि ये सब पुरानी योजनाओं के ही नए नाम हैं. इससे संबंधित कुछ तथ्य पेश हैं.
1. नीम कोटेड यूरिया : कोई नया विचार नहीं.
दावा : प्रधानमंत्री ने कहा है कि ऊर्वरक के अतिशय उपयोग से भूमि की घटी उर्वरता वापस हासिल करने के लिए नीम कोटेड यूरिया उत्पादन का फैसला किया गया है.
सच्चाई : संसद के आंकड़े के मुताबिक गत 11 सालों से यूरिया तथा अन्य कीटनाशकों को नीम से कोट किया जाता है.
अगस्त 2011 में सरकार ने नीम कोटेड यूरिया के अधिकतम उत्पादन की सीमा 20 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दी थी. सरकार ने संसद में हर राज्य में नीम आधारित कीटनाशकों के उपयोग और उनकी कीमत का भी ब्योरा दिया था.
2. मृदा स्वास्थ्य कार्ड : 2012 तक पांच करोड़ कार्ड जारी.
दावा : प्रधानमंत्री का दावा है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की मौलिक योजना है.
सच्चाई : मार्च 2012 तक देश के विभिन्न राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों में पांच करोड़ ऐसे कार्ड जारी कर दिए गए थे.
2008-09 में तत्कालीन सरकार ने मृदा स्वास्थ्य और ऊर्वरता प्रबंधन पर राष्ट्रीय परियोजना शुरू की थी, जिसके तहत मिट्टी की जांच कर ऊर्वरक के सही उपयोग का सुझाव दिया जाता था.
3. कृषि ऋण : रिकार्ड लक्ष्य? वास्तविकता यह है कि इसमें रिकार्ड गिरावट दर्ज की गई है.
दावा : कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ किया गया है.
सच्चाई : 2010-11 से अब तक के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कृषि ऋण का लक्ष्य हर साल कम से कम एक लाख करोड़ रुपये बढ़ा दिया जाता है. 2014-15 का लक्ष्य आठ लाख करोड़ रुपये था.
इसलिए 2015-16 के लिए 8.5 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य का मतलब यह है कि यह सिर्फ 50 हजार करोड़ रुपये बढ़ाया गया है, जो 2010-11 के बाद से सबसे कम वृद्धि है.
4. ग्रामीण विद्युतीकरण : पुरानी परियोजना, नया नाम.
दावा : ग्राम विद्युतीकरण के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) शुरू करना एक प्रमुख उपलब्धि.
सच्चाई : यह राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) का नया नाम है. या फिर जैसा कि सरकार ने संसद में कहा है, “आरजीजीवीवाई को दिसंबर 2014 में डीडीयूजीजेवाई में समाहित कर लिया गया है.”
10वीं (2002-07) और 11वीं (2007-12) योजना के दौरान 1,12,287 गांवों तक बिजली पहुंचाई गई थी, जहां पहले बिजली नहीं थी.
12वीं योजना में 12,468 नए गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य था.
5. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना : पुरानी परियोजना को कम धन में नया रूप दिया गया.
दावा : हर किसान तक सिंचाई सुविधा पहुंचाने के लिए योजना शुरू की गई है.
सच्चाई : यह एक्सेलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम (एआईबीपी) का ही परिष्कृत रूप है, जिसे 11वीं योजना अवधि (2007-12) में शुरू किया गया था. इसमें अपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को पूर्णता हासिल करने के लिए कोष उपलब्ध कराया जाता है.
मार्च 2014 तक एआईबीपी के तहत 297 बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं और 16,769 छोटी परियोजनाओं को केंद्रीय सहायता मिली.
इस दौरान केंद्र से राज्यों को 67,477 करोड़ रुपये जारी किए गए थे और इनसे 94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई सुविधा तैयार की गई.
11वीं योजना अवधि में इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए थे, जबकि 2015-16 के लिए इस मद में मात्र 1,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
6. जैविक खेती : कई पुरानी परियोजनाओं का समन्वित नया नाम.
दावा : जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की गई. इसके तहत हर किसान को हर तीन साल में 20 हजार रुपये दिए जाएंगे.
सच्चाई : कई पुरानी योजनाओं को एक में मिलाकर यह नया नाम दिया गया है.
सरकार निम्नलिखित योजनाओं और कार्यक्रमों के जरिए पिछले करीब एक दशक से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है :
-नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रिकल्चर
-मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एंड हॉर्टीकल्चर
-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
-नेशनल प्रोजेक्ट ऑन ऑर्गेनिक फार्मिग
-नेशनल प्रोग्राम ऑन ऑर्गेनिक प्रोडक्शन
-नेशनल हॉर्टीकल्चर मिशन
-हॉर्टीकल्चर मिशन फॉर नॉर्थ-ईस्ट एंड हिमालयन स्टेट्स
-मैक्रो मैनेजमेंट ऑफ एग्रिकल्चर
-नेशनल प्रोजेक्ट ऑन मैनेजमेंट ऑफ सॉयल हेल्थ एंड फर्टिलिटी
-स्कीम्स ऑफ एग्रिकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड डेवलपमेंट अथॉरिटी
ये योजनाएं या कार्यक्रम 10वी, 11वीं और 12वीं योजना अवधि में लागू की गई हैं.