नए भारत के निर्माण का आह्वान
नई दिल्ली | एजेंसी: मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सांप्रदायिकता के जहर को छोड़ कर देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बना कर नए व स्वच्छ भारत के निर्माण का आह्वान किया.
लाल किले के मैंदान में मौजूद हजारों लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने करीब एक घंटे भाषण दिया, जिस दौरान उनका मुख्य ध्यान राष्ट्र निर्माण और महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने पर रहा.
मोदी ने देश को लेकर अपने विचार पेश किए और सरकार में मौजूद खामियों को स्वीकारते हुए गरीबी से लड़ने के लिए पड़ोसी देशों से मिलकर काम करने की अपील की.
उन्होंने योजना आयोग के स्थान पर नई संस्थान के गठन की भी घोषणा की.
पिछले कई सालों के दौरान यह पहला मौका था, जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री के संबोधन में पाकिस्तान का जिक्र नहीं हुआ. वास्तव में उन्होंने भूटान और नेपाल के अतिरिक्त किसी अन्य पड़ोसी देश का जिक्र नहीं किया.
उन्होंने कहा कि भारतीयों को जातिवाद और सांप्रदायिकता के जहर को छोड़ने की जरूरत है और आजादी के कई सालों बाद देश में इसका बरकरार रहना शर्म की बात है.
प्रधानमंत्री ने कहा, "यह कब तक जारी रहेगा? हमने काफी लड़ाई लड़ ली है. पीछे मुड़ कर देखिए, क्या हमने इससे कुछ पाया है?"
उन्होंने कहा कि दशकों के खूनखराबे ने भारत माता को गहरा घाव दिया और अगले 10 सालों तक कोई खूनखराबा नहीं होना चाहिए.
लाल किले पर झंडा फहराने से पहले मोदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने राज घाट पहुंचे.
भाषण की शुरुआत से पहले उन्हें सैन्य बलों ने सलामी दी. उन्होंने भाषण का ज्यादातर हिस्सा बिना देखे पढ़ा और कभी कभार ही अपने लिखे हुए नोट की तरफ देखा.
विश्वभर के निवेशकों को भारत में आकर उत्पादन करने का आह्वान करते हुए उन्होंने भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाने की अपील की.
उन्होंने कहा, "मैं दुनिया से कहता हूं, भारत में आएं और निर्माण करें. वस्तु कहीं भी बेचें, लेकिन इसका निर्माण यहां करें. हमारे पास कौशल और प्रतिभा है."
मोदी ने कहा कि विश्वभर में भारत की बनी चीजें देखने का सपना हर भारतीय का होना चाहिए, जिसमें न तो कोई खराबी हो और न ही यह पर्यावरण को प्रभावित करे.
भारत को स्वच्छ बनाने के अपने सपने को दोहराते हुए मोदी ने कहा, "क्या हम गंदगी में रहना चाहते हैं?"
उन्होंने कहा कि भारत को 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक स्वच्छ और स्वस्थ बन जाना चाहिए, क्योंकि गांधीजी को स्वच्छता पसंद थी.
मोदी ने अपने भाषण में महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया.
उन्होंने असंतुलित लिंगानुपात पर निराशा जाहिर करते हुए कन्या भ्रूणहत्या को रोके जाने की मांग की, "मैं सभी माता-पिता से अपील करता हूं कि वे अपनी बेटी की हत्या न करें."
मोदी ने कहा, "जब हम दुष्कर्म की घटना सुनते हैं तो शर्म से हमारा सिर झुक जाता है."
प्रधानमंत्री ने सभी को साथ लेकर चलने की भी बात कही. उन्होंने कहा, "साथ चलें, साथ सोचें, और देश को साथ लेकर आगे बढ़ने का संकल्प लें."
मोदी ने अपने निजी अनुभव का जिक्र करते हुए एक गरीब और साधारण परिवार के व्यक्ति को देश के शीर्ष पद पर पहुंचाने वाले भारतीय लोकतंत्र की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा, "मैं आज यहां प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि प्रधान सेवक के रूप में खड़ा हूं."
उनके इस वक्तव्य पर वहां मौजूद दर्शक दीर्घा में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी.