वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली| डेस्कः वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को बुधवार को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली टीम ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसे आज सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया है.
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन में जो हाई लेवल कमेटी बनाई गई थी, उसकी सिफ़ारिशों को आज केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया है. 1951 से 1967 तक चुनाव एक साथ होते थे. उसके बाद में 1999 में लॉ कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में ये सिफ़ारिश की थी देश में चुनाव एक साथ होने चाहिए, जिससे देश में विकास कार्य चलते रहें.
उन्होंने कहा कि “चुनाव की वजह से जो बहुत खर्चा होता है, वो न हो. बहुत सारा जो लॉ एंड ऑर्डर बाधित होता है, वो न हो.एक तरीके से जो आज का युवा है, आज का भारत है जिसकी इच्छा है कि विकास जल्दी से हो उसमें चुनावी प्रक्रिया से कोई बाधा न आए. ”
उन्होंने कहा, “समय-समय पर देश में एक साथ चुनाव कराने के सुझाव दिए जाते रहे हैं. इसलिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी. इस समिति ने सभी राजनीतिक पार्टियों, जजों, अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले बड़ी संख्या में विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर के ये रिपोर्ट तैयार की है.”
पूर्व राष्ट्रपति के नेतृत्व में बनी थी कमेटी
गौरतलब है कि वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी. इस समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओँ पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
इस रिपोर्ट में समिति ने सुझाव दिए हैं कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए.
इसके बाद 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए.
इस प्रक्रिया से एक निश्चित समयवधि में पूरे देश में सभी स्तर के चुनाव कराए जा सकते हैं.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन कराने की रिपोर्ट तैयार करने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था.
जिसमें 32 पार्टियों ने इसका समर्थन किया था. वहीं 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया था. 15 पार्टियों ने तो इस संबंध में कोई जवाब ही नहीं दिया था.
माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी. इसके बाद राज्यों से सहमति ली जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के समय ही एक राष्ट्र एक चुनाव की वकालत करते हुए सभी को इसके लिए एक साथ आने की बात कही थी.
उन्होंने कहा था कि पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान चुनाव ही नहीं होने चाहिए. इससे चुनाव में होने वाले बेफजूल खर्च में कटौती होगी.
उन्होंने कहा था कि वन नेशन वन इलेक्शन समय की मांग है.