कांग्रेस के छत्तीसगढ़ बंद का मिला-जुला असर
रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ के कवर्धा के लोहारीडीह कांड को लेकर कांग्रेस ने शनिवार को छत्तीसगढ़ बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला.
राज्य के कुछ हिस्सों में दुकानें बंद करा रहे कांग्रेसियों की दुकानदारों से झड़प भी हुई है.
बंद का सबसे ज्यादा असर कबीरधाम जिले में देखने को मिला. जरूरी सुविधाएं छोड़कर सुबह से सभी दुकानें बंद हैं.
स्कूलों में भी बंद का असर दिखा. कवर्धा शहर में कांग्रेसी सुबह से रैली निकालकर लोगों से बंद का समर्थन करने अपील करते रहे.
बालोद की स्थानीय विधायक संगीता सिंह भी सुबह से ही कार्यकर्ताओं के साथ स्कूटी पर निकलीं.
जिले के कवर्धा, पंडरिया, पांडातराई, कुंडा, बोड़ला, सहसपुर लोहारा, पिपरिया, पोंडी समेत अन्य बड़े कस्बे में दुकानें दोपहर तक बंद रहीं.
इसी तरह बिलासपुर, मुंगेली, जगदलपुर, बालोद में भी बंद का असर देखने को मिला.
दूसरी ओर राजधानी रायपुर में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, महापौर एजाज ढेबर सहित कई बड़े नेता सुबह से दुकानें बंद कराने निकले थे.
रायपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने बंद का समर्थन नहीं दिया है.
गोलबाजार और मालवीय रोड की दुकानें जरुर दोपहर 1 बजे तक बंद रही. उसके बाद एक-एक कर दुकानें खुल गई.
रायपुर में कुछ पेट्रोल पंप बंद तो कुछ खुले हुए हैं. यही हाल स्कूलों का भी है. सभी सरकारी स्कूल खुले थे, वहीं कुछ प्राइवेट स्कूलों ने सुरक्षा की दृष्टि से स्कूलें बंद रखीं.
रायगढ़ में बंद कराने निकले पूर्व विधायक प्रकाश नायक की सीएसपी से बहस हो गई. दोनों में काफी देर तक नोंकझोंक हुई.
दुकानदार और कांग्रेसियों ने बीच बचाव किया तब जाकर मामला शांत हुआ.
दुर्ग में कांग्रेसी नेता सुबह से बंद कराने सड़कों पर उतर आए थे. नेता अपने-अपने क्षेत्रों में घुमते रहे. इस दौरान उनके हाथों में डंडा और लाठी भी देखा गया.
धमतरी में बंद को चेम्बर ऑफ कॉमर्स का समर्थन मिला. उसके बाद भी यहां बंद का मिला-जुला असर रहा.
सब्जी मार्केट, स्कूल, कॉलेज, मेडिकल समेत बहुत से दुकान खुले हुए हैं.
कोंडागांव में पूर्व मंत्री मोहन मरकाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बंद कराने निकले. उन्होंने नगर में घूम-घूम कर व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद कराया.
दंतेवाड़ा में बंद का कोई असर देखने को नहीं मिला. यहां प्रतिदिन की तरह सुबह से दुकानें खुली हुई थी.
यहां के कांग्रेसियों ने बंद को लेकर व्यापारियों से समर्थन भी नहीं मांगा है, ना ही बंद कराने निकले.