लापता जलाशय मिला
वाशिंगटन | एजेंसी: वैज्ञानिकों ने आखिरकार लापता जलाशय को ढ़ूढ़ निकाला है. वैज्ञानिक लंबे समय से अनुमान लगाए थे कि हमारी धरती के ऊपरी और निचले आवरण के बीच एक चट्टानी परत में पानी फंसा है.
शोधकर्ताओं ने पृथ्वी के 640 किलोमीटर गहरे में सबसे बड़े जलाशय की खोज की है. नॉर्थवेस्टर्न युनिवर्सिटी और युनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको ने उत्तरी अमरीका में द्रुतपुंज के गहरे क्षेत्र खोजे हैं. इन द्रुतपुंजों में पानी की उपस्थिति की संभावनाएं हैं.
नॉर्थवेस्टर्न युनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानी स्टीव जैकबसन ने बताया, “अंतत: हम पूरी दुनिया के पृथ्वी जलचक्र के लिए सबूत देख रहे हैं जो हमारे रहने योग्य ग्रह की सतह पर द्रव जल की भारी मात्रा की व्याख्या करने में मदद कर सकता है. वैज्ञानिक दशकों से इस लापता गहरे पानी के जलाशय को ढूंढ रहे थे.”
यह पानी हमारे प्रयोग के योग्य नहीं है. यह न तो द्रव है, न बर्फ और न ही वाष्प है. पानी का यह चौथा प्रकार है, जिसमें पानी जो आच्छादित चट्टानों के खनिजों की आणविक संरचना में उपस्थित है.
जैकबसन और युनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको के भूकंपविज्ञानी ब्रेंडन श्मैंड ने पहला सबूत उपलब्ध कराया कि आवरण के इस क्षेत्र में जिसे ट्रांजिशन जोन कहा जाता है, में पानी हो सकता है.
शोधकर्ताओं ने बताया, “आवरित चट्टानों में एचटूओ जमा है, जो प्रक्रिया में प्रमुख सहायक हो सकता है.”
‘साइंस’ शोधपत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि धरती कैसे बनी, इसकी वर्तमान संरचना और आंतरिक कार्य क्या हैं और आवरित चट्टान में कितना पानी है.