“तीन व्यक्ति” शिशु का जन्म
नई दिल्ली | बीबीसी: दुनिया का पहला बच्चा एक नई “तीन व्यक्ति” प्रजनन तकनीक के इस्तेमाल से पैदा हुआ है. पत्रिका न्यू साइंटिस्ट ने इसकी ख़बर दी है. पांच महीने के इस लड़के में सामान्य तौर पर अपने माता-पिता का डीएनए है और साथ में एक दानकर्ता का ज़रा सा आनुवांशिक कोड.
Baby Born With DNA From Three Parents
अमरीका के डॉक्टरों के ये अभूतपूर्व क़दम उठाया और ये सुनिश्चित किया कि बच्चा उस आनुवांशिक स्थिति से मुक्त होगा जो उसकी मां के जीन में है. बच्चे की मां जॉर्डन की रहने वाली हैं.
अमरीकी डॉक्टरों की एक टीम मैक्सिको में महिला का इलाज कर रही थी क्योंकि अमरीका में इन प्रक्रियाओं की अनुमति नहीं है.
हांलाकि ये पहली बार नहीं है कि वैज्ञानिकों ने तीन लोगों के डीएनए का इस्तेमाल कर बच्चे पैदा किए हैं. इसकी शुरुआत 1990 के दशक के आख़िरी वर्षों में हो गई थी.
लेकिन यह पूरी तरह से नया और एकदम तरीका है. दरअसल हर कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया होता है जिसका काम कोशिका को ऊर्जा प्रदान करना होता है. इसे कोशिका का पॉवर हाउस भी कहा जाता है.
कुछ महिलाओं के माइटोकॉन्ड्रिया में आनुवांशिक दोष पाए जाते हैं जिससे उनके बच्चों में भी वही दोष हो सकता है. इस विकार को लेह सिंड्रोम कहा जाता है. ये पैदा होने वाले बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती थी. जॉर्डन के इस परिवार के मामले में ये परिवार पहले ही चार गर्भपात और दो बच्चों की मौत का सदमा झेल चुका है.
लेह सिंड्रोम एक गंभीर मस्तिष्क संबंधी विकार है जिससे 40,000 नवजात शिशुओं में कम से कम एक प्रभावित है. रोग मुक्त शिशु के जन्म के लिए वैज्ञानिकों ने चरणबद्ध तरीके से काम किया.
पहले चरण में उन्होंने खराब माइटोकॉन्ड्रिया वाली मां के अंडाणु से केंद्रक (न्यूकलियस) को निकाल कर सुरक्षित कर किया.
दूसरे चरण में उन्होंने दाता मां की सेहतमंद माइटोकॉन्ड्रिया वाली कोशिका के केंद्रक (न्यूकलियस) को हटा दिया.
तीसरे चरण में उन्होंने दाता मां के अंडाणु में वास्तविक मां का केंद्रक (न्यूकलियस) स्थापित कर दिया.
इस तरह से दो मां और एक पुरुष के जीन के मिलन से शिशु का जन्म हुआ.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस क़दम से चिकित्सा के क्षेत्र में एक नए युग का आग़ाज़ हुआ है और इससे दुर्लभ आनुवांशिक स्थिति वाले अन्य परिवारों को मदद मिलेगी.
लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन नाम के इस नए और विवादास्पद तकनीक की कड़े जांच की ज़रूरत है. ये नैतिक सवाल भी खड़े करता है. तीन लोगों के डीएऩए से पैदा होने वाले बच्चे कैसा महसूस करेंगे.