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मेधा पाटकर ने कहा-बोधघाट की समीक्षा करे सरकार

रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी बोधघाट जल विद्युत परियोजना को लेकर विरोध शुरु हो गया है. देश की जानी-मानी पर्यावरणविद और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने इस योजना पर पुनर्विचार की मांग की है.

देश के कई जाने-माने लोगों ने बोधघाट परियोजना को लेकर चिंता जताई है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 50 साल पुरानी राज्य की सबसे बड़ी बोधघाट जल विद्युत परियोजना के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है. इस परियोजना को केंद्रीय जल आयोग ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है. अनुमान है कि इस परियोजना पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. करीब 42 करोड़ रूपये ‘वेपकोस’ नामक कंपनी को सर्वे कार्य के लिए जारी भी कर दिए गए हैं.

सीजी ख़बर पर प्रकाशित रिपोर्ट के बाद मेधा पाटकर ने एक ट्वीट में कहा है कि 40 साल से रद्द विनाशकारी बोधघाट डैम बांध को पुनर्जीवित करने की केंद्रीय जल आयोग और छत्तीसगढ़ सरकार की योजना की, लागत लाभ विश्लेषण, पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र बस्तर के आदिवासियों के विस्थापन और अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय प्रभावों के दृष्टिकोण से तत्काल समीक्षा की जानी चाहिये.

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने केरल में जल विद्युत परियोजना को लेकर आज सवाल उठाये तो उन्हें भी बोधघाट के सवाल का सामना करना पड़ा-

देश भर के आंदोलनकारियों के संगठन NAPM ने भी बोधघाट को लेकर सवाल उठाये हैं-

कुछ आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना की गुजरात के केवड़िया परियोजना से तुलना की है-

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